भारतीय रेल : पिछले 10 सालों में पटरियों का कायापलट
नई दिल्ली : भारतीय रेलवे ने पिछले एक दशक में अपनी रफ्तार और दक्षता बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। पिछले 10 वर्षों (2014-2025) में रेल पटरियों का व्यापक स्तर पर आधुनिकीकरण और सुधार किया गया है, जिसके चलते ट्रेनों की गति क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। रेल मंत्री ने बताया कि वंदे भारत स्लीपर ट्रेन समूह का पहला प्रोटोटाइप भी तैयार हो चुका है। व्यापक क्षेत्रीय परीक्षणों और उनसे प्राप्त अनुभवों के आधार पर, वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का पहला रैक जल्द ही चालू किया जाएगा, जिससे लंबी दूरी की यात्रा करने वाले यात्रियों को उच्च गति और आरामदायक स्लीपर सेवा का अनुभव मिल सकेगा।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में इस पर विस्तार से जानकारी दी। बताया कि रेलवे पटरियों के उन्नयन के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय अपनाए गए हैं। जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं। 60 किलोग्राम की मजबूत पटरियां जो ट्रेनों के अधिक भार और गति को सहन कर सकती हैं। चौड़े बेस वाले कंक्रीट स्लीपर ये पटरियों को बेहतर स्थिरता प्रदान करते हैं। मोटे वेब स्विच ट्रेन के एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर बदलने के लिए अधिक सुरक्षित और कुशल व्यवस्था। लंबे रेल पैनल, एच बीम स्लीपर, आधुनिक ट्रैक नवीनीकरण और रखरखाव मशीनें आदि पर फोकस किया गया है। यही वजह है कि ट्रेनों की गति क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।