By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
Himalaya Ki AwajHimalaya Ki Awaj
  • उत्तराखंड
  • करियर
  • राजनीती
  • पर्यटन
  • क्राइम
  • देश-विदेश
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्पोर्ट्स
  • स्वास्थ्य
  • वीडियो न्यूज़
Search
  • Advertise
© 2023 Himalaya Ki Awaj. All Rights Reserved. | Designed By: Tech Yard Labs
Reading: जब जीत हो नवद्वार की, तब दशहरा होता है
Share
Notification Show More
Latest News
दीपावली का तोहफा : राज्य कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में तीन प्रतिशत वृद्धि, शासनादेश जारी
उत्तराखंड
भवनों पर नंबर प्लेट लगाने का आदेश निरस्त, सीएम धामी ने जांच के दिए निर्देश
उत्तराखंड
आयुर्वेद और योग सेवा के लिए डॉ.  पसबोला को काशी हिन्दी विद्यापीठ का मानद D.Litt
उत्तराखंड
15 अक्टूबर से अमेरिका के लिए अंतरराष्ट्रीय डाक सेवाएं फिर से 
देश-विदेश
विरासत को संवार विकास की नई रोशनी से दून जगमग
उत्तराखंड
Aa
Himalaya Ki AwajHimalaya Ki Awaj
Aa
  • पर्यटन
  • राजनीती
Search
  • उत्तराखंड
  • करियर
  • राजनीती
  • पर्यटन
Follow US
  • Advertise
© 2023 Himalaya Ki Awaj. All Rights Reserved. | Designed By: Tech Yard Labs
Himalaya Ki Awaj > Blog > उत्तराखंड > जब जीत हो नवद्वार की, तब दशहरा होता है
उत्तराखंड

जब जीत हो नवद्वार की, तब दशहरा होता है

Web Editor
Last updated: 2025/09/28 at 3:33 PM
Web Editor
Share
5 Min Read
SHARE

Dussehra (Vijayadashami) 2025 – Significance, Meaning and Spiritual Message

दशहरा यानी विजयादशमी का पर्व नवरात्र के नौ दिन बाद आता है। नवरात्र और दशहरा ऐसे सांस्कृतिक उत्सव हैं, जो चैतन्य के देवी स्वरूप को पूरी तरह समर्पित हैं। इस पर्व के दिन जीवन के सभी पहलुओं के प्रति और जीवन में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं के प्रति अहोभाव प्रकट किया जाता है। नवरात्र के नौ दिन तमस, रजस और सत्व के गुणों से जुड़े हैं। पहले तीन दिन तमस के हैं, जब देवी रौद्र रूप में होती हैं, जैसे दुर्गा या काली। इसके बाद के तीन दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित हैं। लक्ष्मी सौम्य हैं, पर भौतिक जगत से संबंधित हैं। आखिरी तीन दिन देवी सरस्वती यानी सत्व से जुड़े हैं। ये ज्ञान और बोध से संबंधित हैं। इन तीनों में जीवन समर्पित करने से जीवन को एक नया रूप मिलता है।

अगर हम तमस में जीवन लगाते हैं तो हमारेजीवन में एक तरह की शक्ति आएगी। रजस में जीवन लगाने पर किसी अन्य तरीके से शक्तिशाली होंगे और सत्व में जीवन लगाने पर बिल्कुल अलग तरीके से शक्तिशाली बनेंगे। लेकिन, अगर हम इन सबसे परे चले जाएं तो फिर शक्तिशाली बनने की बात नहीं होगी, बल्कि हम मुक्ति की ओर चले जाएंगे। नवरात्र के बाद दसवां यानी अंतिम दिन दशहरा यानी विजयादशमी का होता है। इसके मायने हुए कि हमने इन तीनों पर विजय पा ली। इनमें से किसी के भी आगे घुटने नहीं टेके, बल्कि हर गुण के आर-पार देखा। हर गुण में भागीदारी निभाई, लेकिन अपना जीवन किसी गुण को समर्पित नहीं किया। अर्थात सभी गुणों को जीत लिया। यही विजयादशमी है।

विजयादशमी का संदेश यही है कि जीवन की हर महत्वपूर्ण वस्तु के प्रति अहोभाव और कृतज्ञता का भाव रखने से ही कामयाबी एवं विजय का वरण होता है। सरल शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि दशहरे का उत्सव शक्ति और शक्ति के समन्वय का उत्सव है। नवरात्र के नौ दिन मां भगवती की उपासना कर शक्तिशाली बना हुआ मनुष्य विजय प्राप्ति के लिए तत्पर रहता है। इस दृष्टि से दशहरा यानी विजय के लिए प्रस्थान का उत्सव आवश्यक भी है।

जहां विजय, वहीं विजयादशमी

————————————–

‘श्रीवाराह पुराण’ में कहा गया है कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन बुधवार को हस्त नक्षत्र में समस्त नदियों में श्रेष्ठ गंगा नदी धरा पर अवतीर्ण हुई थी, जो दस पापों को नष्ट करने वाली है। इसीलिए इस तिथि को दशहरा कहते हैं। रावण के दस शीश थे और इसी दिन उसका हनन हुआ था, इसलिए भी यह त्योहार दशहरा के नाम से प्रसिद्ध हुआ और वर्षा ऋतु की समाप्ति एवं शरद ऋतु के आगमन पर आश्विन शुक्ल दशमी को मनाया जाने लगा। दशहरा मनाने की परंपरा युगों से चली आ रही है। त्रेतायुग में श्रीराम ने लंकापति रावण का वध कर विजय का वरण किया था, इसलिए इसे विजयादशमी नाम से भी जाना जाता है। पुराणों में यह भी उल्लेख है कि विजयादशमी के दिन देवराज इंद्र ने महादानव वृत्तासुर पर विजय प्राप्त की थी। पांडवों ने भी विजयादशमी के दिन ही द्रौपदी का वरण किया।

महाभारत के युद्ध का आरंभ भी विजयादशमी के दिन से ही माना जाता है। ‘ज्योतिर्निबंध’ नामक ग्रंथ में लिखा है कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय ‘विजय’ नामक मुहूर्त होता है, जो सर्वकार्य सिद्ध करने वाला माना गया है। इसीलिए इस त्योहार का नाम विजयादशमी पड़ा होगा। महर्षि भृगु ने कहा है कि इस दिन सभी राशियों में सायंकाल के समय विजय मुहूर्त में यात्रा करना उत्तम होता है, जो ग्यारहवां मुहूर्त है। जो जीत चाहते हैं, उन्हें इसी मुहूर्त में यात्रा करनी चाहिए।

इसी तिथि को श्रीराम ने भगवती विजया का पूजन कर विजय प्राप्त की थी। इसीलिए इस दिन देवी विजया की पूजा परंपरा है। जिसकी वजह से इस त्योहार का नाम विजयादशमी पड़ा। ‘चिंतामणि’ नामक ग्रंथ में कहा गया है कि आश्विन शुक्ल दशमी के दिन तारों के उदय होने का जो समय है, उसका विजय से संबंध है, जो सारे काम और अर्थों को पूरा करने वाला है।

You Might Also Like

दीपावली का तोहफा : राज्य कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में तीन प्रतिशत वृद्धि, शासनादेश जारी

भवनों पर नंबर प्लेट लगाने का आदेश निरस्त, सीएम धामी ने जांच के दिए निर्देश

आयुर्वेद और योग सेवा के लिए डॉ.  पसबोला को काशी हिन्दी विद्यापीठ का मानद D.Litt

विरासत को संवार विकास की नई रोशनी से दून जगमग

अतिक्रमण पर चला डंडा, खाली कराए फुटपाथ 

TAGGED: and Saraswati culminate in the victory of truth, and spiritual power on this sacred festival., Discover the true meaning and significance of Dussehra (Vijayadashami). Learn how Navratri’s nine days of devotion to Durga, gratitude, Lakshmi
Web Editor September 28, 2025
Share this Article
Facebook Twitter Copy Link Print
Share
Previous Article साइक्लोथॉन और वॉकथॉन के जरिए श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के डाक्टरों ने दिया स्वस्थ हृदय का संदेश 
Next Article एसजीआरआर विश्वविद्यालय में नवरंग डांडिया: भक्ति, संस्कृति और संगीत का उत्सव
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Stay Connected

100 Followers Like
100 Followers Follow
100 Followers Follow
100 Subscribers Subscribe
4.4k Followers Follow
- Advertisement -
Ad imageAd image

Latest News

दीपावली का तोहफा : राज्य कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में तीन प्रतिशत वृद्धि, शासनादेश जारी
उत्तराखंड October 15, 2025
भवनों पर नंबर प्लेट लगाने का आदेश निरस्त, सीएम धामी ने जांच के दिए निर्देश
उत्तराखंड October 15, 2025
आयुर्वेद और योग सेवा के लिए डॉ.  पसबोला को काशी हिन्दी विद्यापीठ का मानद D.Litt
उत्तराखंड October 15, 2025
15 अक्टूबर से अमेरिका के लिए अंतरराष्ट्रीय डाक सेवाएं फिर से 
देश-विदेश October 14, 2025

Recent Posts

  • दीपावली का तोहफा : राज्य कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में तीन प्रतिशत वृद्धि, शासनादेश जारी
  • भवनों पर नंबर प्लेट लगाने का आदेश निरस्त, सीएम धामी ने जांच के दिए निर्देश
  • आयुर्वेद और योग सेवा के लिए डॉ.  पसबोला को काशी हिन्दी विद्यापीठ का मानद D.Litt
  • 15 अक्टूबर से अमेरिका के लिए अंतरराष्ट्रीय डाक सेवाएं फिर से 
  • विरासत को संवार विकास की नई रोशनी से दून जगमग

साथियों, ये है हिमालय की आवाज. आप सोच रहे होंगे कि इतने पोर्टल के बीच एक और पोर्टल. इसमें क्या अलग है. यूं तो इसमें भी खबर ही होंगी, लेकिन साथ ही होगी हिमालय की आवाज यानी अपनी माटी, अपने गांव गली और चौक की बात. जल-जंगल और जमीन की बात भी. पहाड़ के विकास के लिए हम दमदार आवाज बनेंगे. आप सभी शुभचिंतकों के सहयोग का आकांक्षी. : किरण शर्मा, संस्‍थापक

Most Viewed Posts

  • मक्‍की की वजह से पर्यटन के नक्‍शे पर आया यह गांव (5,776)
  • राज्य में 12 पी माइनस थ्री पोलिंग स्टेशन बनाए गए (5,734)
  • टिहरी राजपरिवार के पास 200 करोड से अधिक की संपत्ति (4,229)
  • कम मतदान प्रतिशत वाले बूथों पर जनजागरूकता में जुटा चुनाव आयोग (4,076)
  • प्रधानमंत्री माेदी और गृह मंत्री शाह जल्‍द आएंगे उत्‍तराखंड (4,009)
Himalaya Ki AwajHimalaya Ki Awaj
Follow US

© 2023 Himalaya Ki Awaj. All Rights Reserved. | Designed By: Tech Yard Labs

Removed from reading list

Undo
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?