नैनीताल: हाई कोर्ट ने उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व के आदेश में संशोधन कर दिया है। कोर्ट ने लोकायुक्त कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों का पिछले चार माह से रुका हुआ वेतन जारी करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि कार्यालय की देखरेख ,बिल व अन्य पर होने वाले खर्च को अगले वित्तीय वर्ष तक कर सकते हैं।
पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार को लोकायुक्त की नियुक्ति करने हेतु तीन माह का अंतिम अवसर देते हुए यह भी कहा कि जबतक लोकायुक्त की नियुक्ति नही हो जाती उसके कार्यालय के कर्मचारियों को वहां से वेतन नहीं दिया जाय। चाहे तो सरकार अन्य विभाग से कार्य लेकर उन्हें भुगतान कर सकती है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हल्द्वानी गौलापार निवासी रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने अभी तक लोकायुक्त की नियुक्ति नही की जबकि संस्थान के नाम पर सालाना दो से तीन करोड़ खर्च हो रहा है। याचिकाकर्ता के अनुसार कर्नाटक में व मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की ओर से भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जा रही है लेकिन उत्तराखंड में तमाम घोटाले हो रहे हैं। हर एक छोटे से छोटा मामला हाई कोर्ट के समक्ष लाना पड़ रहा है। यह भी कहा गया है कि वर्तमान में राज्य की सभी जांच एजेंसी सरकार के अधीन है, जिसका पूरा नियंत्रण राज्य के राजनैतिक नेतृत्व के हाथों में है।