देहरादून : प्रदेश के सबसे बड़े रजिस्ट्री फर्जीवाड़े का अंत नहीं होता दिख रहा। फर्जी रजिस्ट्री और फर्जी अभिलेख तैयार कर उन्हें सब रजिस्ट्रार कार्यालय में दाखिल कराने के मामले में एसआइटी अब तक 22 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। हालांकि, जेल भेजे गए आरोपियों और उनके सहयोगियों की कारगुजारियां अब भी सामने आ रही हैं। अब एसआइटी ने लाडपुर क्षेत्र में 4.5 एकड़ भूमि की फर्जी रजिस्ट्री तैयार करने और उसे असली बनाने के लिए सब रजिस्ट्रार कार्यालय के रिकार्ड रूम में दाखिल कराने के मामले में एक और मुकदमा दर्ज किया है। रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में यह 13वीं एफआइआर है।
सहायक महानिरीक्षक निबंधन संदीप श्रीवास्तव की ओर से शहर कोतवाली में दी गई तहरीर के मुताबिक उप निबंधक सदर कार्यालय की रजिस्ट्री संख्या 7078 (जिल्द 1249) का परीक्षण किया गया। यह रजिस्ट्री चंद्र बहादुर सिंह निवासी बार्लोगंज मसूरी की ओर से मोती लाल अग्रवाल निवासी डिब्रूगढ़ असम के पक्ष में वर्ष 1975 में की जानी दिखाई गई है। 4.5 एकड़ क्षेत्रफल भूमि की रजिस्ट्री के परीक्षण में इसके पृष्ठों का रंग अन्य रजिस्ट्रियों के रंग से भिन्न पाया गया। इसके साथ ही रजिस्ट्री के प्रथम पृष्ठ पर अंकित मुहर, हस्ताक्षर और स्याही में भी भिन्नता पाई गई। जिस आधार पर रजिस्ट्री को फर्जी पाया गया। इसी आधार पर शहर कोतवाली में अज्ञात व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत करते हुए जांच शुरू कर दी गई है।
भूमाफिया का गठजोड़ करता रहा सीलिंग भूमि पर खेल
फर्जी रजिस्ट्री तैयार किए जाने से संबंधित लाडपुर क्षेत्र की यह भूमि शमशेर बहादुर की है। बाद में यह उनके पुत्र चंद्र बहादुर के नाम पर दर्ज की गई। हालांकि, यह भूमि सीलिंग से संबंधित है। जिसे राज्य सरकार में निहित किया जा चुका है। साथ ही जिला प्रशासन ने इसका कब्जा सरकार के पक्ष में प्राप्त करने की कार्रवाई भी शुरू की है। हालांकि, इसके बाद भी न सिर्फ लाडपुर क्षेत्र की भूमि बिकती चली गई, बल्कि भूमाफिया, अधिवक्ताओं और अधिकारियों की मिलीभगत से भूमि की फर्जी रजिस्ट्री तैयार की गई। राजस्व अभिलेखों में भी भूमाफिया के नाम चढ़ाए गए और फर्जी अभिलेख सब रजिस्ट्रार कार्यालय के रिकार्ड रूम में भी दाखिल कराए गए।