डोईवाला (देहरादून) : स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय जौलीग्रांट एवं नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज इंडिया, उत्तराखंड चौप्टर, देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी डे पर एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओें ने रचनात्मकता और नवाचार में बौद्धिक संपदा के महत्व की जानकारी दी।
शुक्रवार को आईपीआर सेल की ओर से बीसी रॉय सभागार में आयोजित व्याख्यान का उद्घाटन संस्थापक डॉ. स्वामी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया गया। मुख्य वक्ता एसआरएचयू के कुलपति व नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज इंडिया, उत्तराखंड चैप्टर देहरादून के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र डोभाल ने कहा कि वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी डे की स्थापना विश्व बौद्धिक संपदा संगठन ने इस बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी कि पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और डिजाइन दैनिक जीवन पर कैसे प्रभाव डालते हैं। इस वर्ष यह दिवस आईपी और सतत विकास लक्ष्यः नवाचार और रचनात्मकता के साथ हमारे सामान्य भविष्य का निर्माण’ की थीम पर मनाया जा रहा है। डॉ. राजेन्द्र डोभाल ने कहा कि बौद्धिक संपदा को दिमागी उपज कहा जाता है, इसका उपयोग अविष्कारकर्ता ही कर सकता है। इसके अंतर्गत व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा सृजित कोई रचना, संगीत, साहित्यिक कृति, कला, खोज अथवा डिजाइन होती है जो उस व्यक्ति अथवा संस्था की बौद्धिक संपदा कहलाती है और इन कृतियों पर व्यक्ति अथवा संस्था को प्राप्त अधिकार बौद्धिक संपदा अधिकार कहलाता है। उन्होंने शिक्षाविद्ो के लिए पेटेंट का महत्व, बौद्धिक संपदा अधिकार के लिए सरकार की ओर प्रोत्साहन नीति, कॉपीराईट एक्ट, पेटेंट दाखिल करने की भारतीय प्रक्रिया के विषय में प्रतिभागियों को जानकारी दी। महानिदेशक (शैक्षणिक विकास) डॉ. विजेन्द्र चौहान ने उपस्थित फैकल्टी सदस्यों व छात्र-छात्राओं से आपीआर अधिकारों के प्रति सजग रहने की बात कही। इससे पूर्व आईपीआर सेल के समन्वयक डॉ. योगेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम के महत्व व इतिहास के विषय में जानकारी दी। डॉ. भावना पाल ने सभी उपस्थित फैकल्टी, छात्र-छात्राओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।