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Himalaya Ki Awaj > Blog > उत्तराखंड > भूजल संरक्षण के लिए एक नई केन्द्र पोषित योजना प्रारम्भ करने का आग्रह
उत्तराखंड

भूजल संरक्षण के लिए एक नई केन्द्र पोषित योजना प्रारम्भ करने का आग्रह

Web Editor
Last updated: 2024/12/21 at 3:11 AM
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देहरादून : केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शुक्रवार को जैसलमेर में राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों के साथ प्री-बजट कन्सलटेशन बैठक में उत्तराखण्ड सरकार की ओर से मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में 11 मुख्य बिन्दुओं को रखा गया। बैठक में राज्य की ओर से वित्त मंत्री प्रेम चन्द अग्रवाल ने प्रतिभाग किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की ओर से इकोलॉजी और इकोनॉमी को फोकस में रखते हुए नॉलेज इकॉनमी, भूजल संरक्षण, रोपवे, पूर्ण रेलवे सर्किट, जल-विद्युत उत्पादन आदि महत्वपूर्ण पक्षों को रखा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भूजल संरक्षण के लिए राज्य में लगभग 2500 करोड़ रूपये की सौंग बांध परियोजना पर कार्य प्रारम्भ किया है। केन्द्र सरकार द्वारा ’’स्कीम फॉर स्पेशल असिस्टेंस टू स्टेट्स फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट’’ के अन्तर्गत 100 करोड़ रुपए की स्वीकृति भी राज्य को प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि इस बार मेमोरेंडम में राज्य सरकार द्वारा भूजल संरक्षण के लिए एक नई केन्द्र पोषित योजना को प्रारम्भ करने का आग्रह किया है, ताकि सौंग बांध और भूजल संरक्षण के लिए हमारे प्रयासों को और गति मिल सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में फ्लोटिंग पोपुलेशन के दृष्टिगत अतिरिक्त अवस्थापना विकास एवं अनुरक्षण आदि के लिए डेडीकेटेड केन्द्र पोषित योजनाध्वित्तीय सहायता का अनुरोध किया गया है। आगामी केन्द्रीय बजट के माध्यम से उत्तराखंड में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना किये जाने हेतु प्रावधान करने का अनुरोध भी किया गया है। आयुर्वेद शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्व के संस्थान की उत्तराखण्ड में स्थापना होने से प्रदेश सरकार के प्रयासों को और गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि आयुष नीति 2023 में स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने, निवेश को प्रोत्साहित करने सहित अनेक प्रावधान किये गए हैं। राज्य सरकार देश की प्रथम योग नीति लागू करने की दिशा में कार्य कर रही है। राज्य में आर्टिफिसियल इंटैलीजेंस व साइबर सुरक्षा से सम्बन्धित उत्कृष्टता केन्द्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) स्थापित करने हेतु केन्द्र सरकार से सहयोग मांगा गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय व सीमान्त राज्य होने के कारण उत्तरराखण्ड में कनेक्टिविटी के विस्तार के लिए बागेश्वर से कर्णप्रयाग तथा रामनगर से कर्णप्रयाग के मध्य रेलवे लाईन का सर्वेक्षण और रेलवे नेटवर्क एक सर्किट के रूप में विकसित करने के लिए अनुरोध किया गया है। राज्य के दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों में जल विद्युत परियोजनाओं को प्रोत्साहित किये जाने हेतु रू. 2 करोड़ प्रति मेगावाट की दर से रू. 8 हजार करोड़ की वायेविलिटी गैप फण्डिंग प्रदान करने हेतु आवश्यक प्रावधान आगामी बजट में किये जाने का अनुरोध किया गया है। रोपवे परियोजनाओं के लिए उत्तराखण्ड सहित समस्त पर्वतीय राज्यों के लिए वायेविलिटी गैप फण्डिंग में केन्द्रांश 20 प्रतिशत से बढाकर 40 प्रतिशत करने पर विचार किये जाने का अनुरोध किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन योजना के अन्तर्गत अवशेष कार्यों को पूर्ण करने की समय-सीमा को बढ़ाने का अनुरोध किया गया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अनुरूप जल जीवन मिशन योजना के अनुरक्षण संचालन को भी केन्द्र पोषित योजना से आच्छादित किये जाने का अनुरोध किया गया है। राज्य आपदा मोचन निधि के मानकों मे संशोधन और प्रदेश में 60 वर्ष से 79 आयु वर्ग के लिए वृद्धावस्था पेंशन में केन्द्रांश को बढ़ाने पर आगामी बजट में विचार करने हेतु अनुरोध किया गया है। मनरेगा के अंतर्गत उत्तराखण्ड सहित समस्त पर्वतीय राज्यों हेतु श्रम व सामग्री का अनुपात 60ः40 के बजाय 50ः50 करने, पर्वतीय क्षेत्रों में ढुलान हेतु अतिरिक्त प्रावधान करने तथा मनरेगा कार्यों के लिए सेमी-स्किल्ड लेबर की पारिश्रमिक दर अनस्किल्ड लेबर से अधिक करने तथा स्किल्ड लेबर की विद्यमान पारिश्रमिक दर को बढाने का भी अनुरोध किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में बजट निर्माण प्रकिया प्रारंभ कर दी गई है। हितधारकों के साथ बजट पूर्व संवाद की प्रक्रिया को हमने प्रभावी बनाया गया है। जनता से सुझाव आमंत्रित कर संबंधित अधिकारियों द्वारा उनका परीक्षण करते हुए बजट में समावेश करने के निर्देश दिए गए हैं। शीघ्र ही प्रदेश के लिए प्री-बजट कंसल्टेशन प्रारंभ किया जायेगा।

वित्त मंत्री प्रेम चन्द अग्रवाल ने प्री-बजट कन्सलटेशन बैठक में राज्य के मेंमोरेंडम के 11 बिन्दुओं पर विस्तार से पक्ष रखा। राज्य सरकार के पक्ष को इंगित करते हुए उन्होंने कहा कि ’’अमृत काल खण्ड में भारतवर्ष को विकसित देश बनाने की बयार है, इस महायज्ञ को सफल बनाने हेतु देवभूमि उत्तराखण्ड तैयार है।’’

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