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Himalaya Ki Awaj > Blog > देश-विदेश > पिछले साल देश में कुत्‍तों के हमलों में जख्‍मी हुए 37 लाख से ज्‍यादा लोग
देश-विदेश

पिछले साल देश में कुत्‍तों के हमलों में जख्‍मी हुए 37 लाख से ज्‍यादा लोग

Web Editor
Last updated: 2025/07/24 at 3:33 AM
Web Editor
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2 Min Read
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देहरादून : इसी माह सात जुलाई को देहरादून में एक बुजुर्ग महिला पर कुत्‍ते ने हमला कर बुरी तरह से घायल कर दिया। इसके बाद हरकत में आए पुलिस और प्रशासन ने कुत्‍ता पालने वालों का सत्‍यापन अभियान शुरू किया। मामला खूब सुर्खियों मे रहा। नियमत कुत्‍ता पालने के लिए नगर निगम से लाइसेंस लेना होता है। आमतौर पर इस नियम की अनदेखी ही की जाती है, लेकिन इस सबके बीच दिलचस्‍प यह है कि समूचे देश में ही कुत्‍तों का आतंक कम नहीं है। पिछले दिनों यह मुददा लोकसभा में भी गूंजा।एक सवाल के जवाब में बताया गया कि देश में पिछले साल कुत्‍ते के काटने के  3717336 केस रिपोर्ट किए गए।

केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने एक लिखित प्रश्‍न के उत्‍तर मे बताया कि नगर पालिकाओं को आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने का अधिकार है। इसके अनुसार नगर पालिकाएँ आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम लागू कर रही हैं। रेबीज उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना शुरू की गई है। इसके तहत राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम (एनआरसीपी) के अंतर्गत राज्यों को बजटीय सहायता दी जा रही है। इसके अलावा एंटी-रेबीज वैक्सीन (एआरवी) और एंटी-रेबीज सीरम (एआरएस) की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के साथ ही “रेबीज-मुक्त शहर” पहल का शुभारंभ किया गया है। राज्यों में आदर्श एंटी-रेबीज क्लीनिकों की स्थापना के अलावा रेबीज निगरानी तंत्र को मजबूत करने समेत कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

 

 

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साथियों, ये है हिमालय की आवाज. आप सोच रहे होंगे कि इतने पोर्टल के बीच एक और पोर्टल. इसमें क्या अलग है. यूं तो इसमें भी खबर ही होंगी, लेकिन साथ ही होगी हिमालय की आवाज यानी अपनी माटी, अपने गांव गली और चौक की बात. जल-जंगल और जमीन की बात भी. पहाड़ के विकास के लिए हम दमदार आवाज बनेंगे. आप सभी शुभचिंतकों के सहयोग का आकांक्षी. : किरण शर्मा, संस्‍थापक

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