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देश-विदेश

Uttarakhand leopard behavior : उत्‍तराखंड में उलझन में डाल रही गुलदार की “चाल”

Web Editor
Last updated: 2025/07/28 at 2:36 PM
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4 Min Read
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Uttarakhand leopard behavior : Uttarakhand’s Leopard Enigma: Research Uncovers Shifting Behavior & Rising Conflict

Contents
प्रदेश के जंगलों में घूम रहे 3115 गुलदार, बदलता व्‍यवहार बना शोध का विषयराज्‍य बनने के बाद से अब तक 535 लोगों को बना चुके हैं निवाला(फोटो साभार : राजू पुशोला)

प्रदेश के जंगलों में घूम रहे 3115 गुलदार, बदलता व्‍यवहार बना शोध का विषय

राज्‍य बनने के बाद से अब तक 535 लोगों को बना चुके हैं निवाला

Uttarakhand leopard behavior : देहरादून, 28 जुलाई 2025 : वर्ष 2011 में बसंत की एक शाम इतनी भयानक हो जाएगी, किसी ने कल्‍पना भी नहीं की थी। पौडी जिले के रिखणीखाल ब्‍लाक के एक गांव में पिंजरे में फंसे गुलदार (तेंदुए) को देखते ही गुस्‍से से सुलग रहे ग्रामीणों ने मिटटी का तेल छिडककर आग लगा दी। आक्रोशित भीड के आगे वन‍ विभाग बेबस नजर आया। यह अकेला मामला नहीं है, देहरादून जिले में भी कुछ वर्ष पहले ग्रामीणों ने लाठी डंडों से गुलदार को मार डाला था। देश के दूसरे राज्‍यों से भी ऐसे किस्‍से अक्‍सर सुनने को मिल जाते हैं। पलायन की पीडा से दो चार हाेे रहे  उत्‍तराखंड के हालात देखें तो वीरान होते गांवों की एक बडी वजह जंगली जानवर भी हैं। प्रदेश में 1726 गांव पूरी तरह से जन शून्‍य हो चुके हैं। फसल तो चौपट हो ही रही है जीवन भी संकट में  है।
वन्‍य जीवों की दुनिया में बदलते व्‍यवहार को लेकर शोध का विषय बन चुके गुलदार उत्‍तराखंड में आतंक का पर्याय बन चुके हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड के जंगलों में 3115 गुलदार घूम रहे हैं,  है। यदि औसत निकालें तो एक जिले में  239 गुलदार हैं। उत्‍तर प्रदेश से अलग होने के बाद अस्तित्‍व में आए उत्‍तराखंड में देखें तो वर्ष 2000 से वर्ष 2024 के बीच बाघ और गुलदार 640 लोगों को शिकार बना चुके हैं। इनमें अकेले गुलदार 535 जाने ले चुका है यानी औसतन हर साल 22 जिंदगी। वहीं इसी अवधि में 2069 गुलदार के हमले में जख्‍मी हुए।
शोध का विषय यह कि इन 24 वर्षों में सर्वाधिक लोग गुलदार का शिकार बने वर्ष 2003 और वर्ष 2020 में । इन वर्षों में यह संख्‍या क्रमश: 33 और 30 रही। यह आंकडा भी चौंकाने वाला है। प्रसिद्ध शिकारी लखपत रावत ने एक बार एक साक्षात्‍कार में गुलदार के बदलते व्‍यवहार पर कहा था कि एकाकी रहने वाला यह जीव अब झुंड में भी रहने लगा है। इतना ही नहीं, पुणे के पास जुन्नार में गुलदार दिन के समय भी मानव बस्तियों के आस पास देखे जा रहे हैं। उत्‍तराखंड में भी यह स्थिति है, जबकि पहले ये रात में ही निकलते थे। चिंता का विषय यह है कि गुलदार गांव के साथ ही शहरों का रुख भी कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में देहरादून, हरिद्वार, बिजनौर, मेरठ, ग्रेटर नोएडा, बरेली, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत सहित कई जगह में गुलदार के हमलों के मामले सामने आए हैं। यह सही है कि शेर के मुंह में सिर डालना अक्‍लमंदी नहीं है, लेकिन यदि शेर घर के दरवाजे तक आ जाए तो हालात संभालने ही पडेंगे। हमें वन भी चाहिए और वन्‍य जीव भी, लेकिन कुछ तो ऐसा करें कि जीवन सुरक्षित रहे।

(फोटो साभार : राजू पुशोला)

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TAGGED: and how these elusive predators are venturing into urban areas., Discover the puzzling behavior of leopards in Uttarakhand, where a population of 3115 is driving a research focus. Learn about the alarming increase in human-leopard conflict, with 535 lives lost since state formation
Web Editor July 28, 2025
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