Rising Cost of Ravana Effigies Ahead of Dussehra in Dehradun 2025
देहरादून, 1 अक्टूबर 2025 : देहरादून की गलियों में इस समय बांस की खड़खड़ाहट, रंगीन कागजों की सरसराहट और हथौड़ों की थाप सुनाई दे रही है। दशहरा नजदीक है और रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के विशाल पुतले तेजी से आकार ले रहे हैं। लेकिन, इस बार इन पुतलों की कीमतें आयोजकों की जेब पर भारी पड़ रही हैं।
हाल ही में सरकार ने कई वस्तुओं पर GST में छूट दी थी, जिससे बाजार में तमाम सामान सस्ते हो गए। लोग उम्मीद कर रहे थे कि इसका असर त्योहारों पर भी दिखेगा। मगर रावण-दहन की परंपरा निभाने वाले आयोजकों और कारीगरों के लिए हालात उलट साबित हुए हैं। बांस, रस्सी और कागज के दाम इतने बढ़ गए कि पुतलों की लागत करीब 25 प्रतिशत तक बढ़ गई है। करीब 50 फीट ऊंचे पुतले में आठ कुंतल तक बांस लगता है।
कारीगरों की जुबानी
परेड ग्राउंड में पुतले तैयार कर रहे कारीगर बताते हैं,
“45 फीट का पुतला पहले 60 हजार में तैयार हो जाता था, अब इसकी कीमत 75 हजार से ऊपर पहुंच गई है। इसमें आतिशबाजी अलग से लगती है। बांस, रस्सी और मजदूरी सब महंगी हो गई है। GST छूट का असर हमारी सामग्री पर नहीं दिखा।”
आयोजकों की चिंता
पटेलनगर की एक समिति के आयोजक कहते हैं, “पहले 50 फीट का पुतला एक लाख रुपये में तैयार हो जाता था, इस बार इसकी लागत सवा लाख से ऊपर है। त्योहार की परंपरा निभानी है, इसलिए पुतलों की ऊंचाई कम नहीं कर रहे।”
मेले की रौनक और बच्चों का उत्साह
परेड ग्राउंड और अन्य स्थलों पर पुतला दहन के साथ-साथ मेले की तैयारियां भी जोरों पर हैं। कहीं झूले लगाए जा रहे हैं तो कहीं खाने-पीने की दुकानों की सजावट हो रही है। बच्चों की आंखों में मेले के झूलों और गुब्बारों की चमक साफ झलक रही है।
गोलगप्पे, जलेबी, समोसे और चाट की खुशबू से वातावरण महकने लगा है। महिलाएं खरीदारी की लिस्ट बना रही हैं तो बच्चे आतिशबाजी की गूंज का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
उत्सव का संदेश बरकरार
महंगाई का असर जरूर है, पर दून में दशहरे का उत्साह फीका नहीं पड़ा। शाम ढलते ही जब आतिशबाजी के साथ रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले धराशायी होंगे, तो आकाश रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा उठेगा।