Educational Seminar Held at Government Upper Primary School Paligaon on Community Participation in Education
रिखणीखाल (पौड़ी), 2 नवंबर 2025 : राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पलीगांव में “शिक्षा–शिक्षक एवं सामुदायिक सहभागिता” विषय पर एक शैक्षिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में शिक्षा की गुणवत्ता, घटती छात्र संख्या, संसाधनों की कमी, और जनप्रतिनिधियों की शैक्षणिक उदासीनता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई।
संगोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. ख्यात सिंह चौहान, प्रधानाध्यापक महीधर ध्यानी, कैप्टन एस. पी. देवरानी, दीपक पंत और दिलीप वर्मा ने संयुक्त रूप से किया। छात्र-छात्राओं ने सरस्वती वंदना और स्वागत गीत प्रस्तुत कर कार्यक्रम का माहौल उत्साहपूर्ण बना दिया।
विद्यालय प्रबंधन समिति की अध्यक्ष प्रीति देवी ने विद्यालय में भौतिक संसाधनों की कमी और भवन निर्माण से संबंधित लंबित प्रस्तावों पर चिंता व्यक्त की। सहायक अध्यापक दिलीप वर्मा ने विद्यालय की विकास योजना, छात्र संख्या का दशकवार विवरण, और बच्चों की विभिन्न प्रतियोगिताओं में सहभागिता की जानकारी दी।
मुख्य वक्ता डॉ. ख्यात सिंह चौहान ने कहा कि आज शिक्षा के क्षेत्र में गंभीर चुनौतियाँ हैं। उन्होंने कहा, “पहले हम पाँच–आठ किलोमीटर दूर जाकर पढ़ते थे, लेकिन आज हर गाँव में विद्यालय होने के बावजूद पलायन कम नहीं हुआ है। शिक्षा के साथ बेरोजगारी और स्वास्थ्य समस्याएँ भी बड़ी बाधा हैं।”
ग्राम प्रधान अशोक नेगी ने स्थानीय कृषि, सब्जियों और फलोत्पादन को आजीविका मिशन से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। वहीं शिवानंद ध्यानी ने अभिभावक-शिक्षक समन्वय को शिक्षा सुधार की कुंजी बताया। डॉ. अम्बिका प्रसाद ध्यानी ने ग्रामीण शिक्षा संस्थानों के समक्ष सामाजिक और सांस्कृतिक चुनौतियों पर विचार रखे।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर शशांक ध्यानी और अनिरुद्ध ने सामाजिक मूल्यों के क्षरण के संदर्भ में नैतिक शिक्षा को अनिवार्य बनाने का सुझाव दिया।
कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के प्रधानाध्यापक महीधर ध्यानी को उनके 35 वर्ष के सेवाकाल और शिक्षक संघ में योगदान के लिए भावभीनी विदाई दी गई। इस अवसर पर पंकज रावत, दिलबर शाह, विजयपाल रावत, रघुबीर सिंह रावत, लक्ष्मी देवी, संगीता चौहान सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
संगोष्ठी का सफल संचालन डॉ. अम्बिका प्रसाद ध्यानी ने किया।
