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Himalaya Ki Awaj > Blog > उत्तराखंड > chnar dham yatra : सोनप्रयाग से केदारनाथ तक सात सेक्टर में विभाजित है यात्रा मार्ग
उत्तराखंड

chnar dham yatra : सोनप्रयाग से केदारनाथ तक सात सेक्टर में विभाजित है यात्रा मार्ग

Web Editor
Last updated: 2025/05/19 at 4:40 AM
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5 Min Read
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रुद्रप्रयाग :  श्री केदारनाथ धाम यात्रा देश की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक है। हिमालय की तलहटी में केदारघाटी के गौरीकुंड से शुरू होने वाली करीब 20 किलोमीटर की इस कठिन पैदल यात्रा की मंजिल समुद्र तल से करीब 12 हजार फीट की ऊंचाई पर बसे भगवान शिव के 11 वें ज्योतिर्लिंग है। हर वर्ष बाबा के दर्शनों को लाखों लोग यहां पहुंचते हैं। विपरीत परिस्थित एवं सीमित संसाधनों में राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन के कुशल प्रबंधन की बदौलत यह यात्रा संचालित होती है। लेकिन इस यात्रा के असली हीरो वो कर्मचारी हैं जो 24 घंटे ड्यूटी कर यात्रा मैनेजमेंट करते हैं। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि इन्हीं के समर्पण के बूते यात्रा रूपी कठोर तपस्या सिद्ध होती है।

यूं तो जनपद रुद्रप्रयाग की सीमा सिरोबगड़ से शुरू हो जाती है और यहीं से यात्रा मैनेजमेंट के लिए विभिन्न ड्यूटी प्रशासन के स्तर से लगाई जाती हैं। लेकिन यात्रा मैनेजमेंट का मुख्य कार्य सोनप्रयाग से शुरू होता है।
सोनप्रयाग से लेकर श्री केदारनाथ मंदिर तक सात मुख्य पड़ावों के आधार पर यात्रा मार्ग को सात सेक्टर में बांटा गया है। सोनप्रयाग, गौरीकुंड, भीमबली, बड़ी लिनचोली, घोड़ा पड़ाव, सेक्टर केदारनाथ (हैलीपैड) और मन्दिर परिसर। सोनप्रयाग क्षेत्र में बाबा के दर्शन को पहुंचने वाले श्रद्धालु अपने वाहन सीतापुर एवं सोनप्रयाग पार्किंग में पार्क कर प्रशासन की व्यवस्थाओं का लाभ लेना शुरू करते हैं। सोनप्रयाग सेक्टर मजिस्ट्रेट सहित पुलिस, पीआरडी जवान, स्वास्थ्य विभाग एवं व्यवस्थाओं में जुटे अन्य कर्मचारी यहां शांति एवं स्वच्छता व्यवस्था सुनिश्चित करने से लेकर भक्तों का उन्हें शटल वाहन में बैठाना सुनिश्चित करते हैं। गौरीकुंड में तैनात अधिकारी एवं कर्मचारी श्रद्धालुओं का पंजीकरण चैक करने, नया पंजीकरण करने, स्वास्थ्य जांच करने से लेकर उन्हें पैदल मार्ग की ओर अग्रसर करते हैं, जहां से विभिन्न पड़ाव पार कर भक्त बाबा के धाम पहुंचते हैं। सभी पड़ावों पर यात्रा को सुगम एवं सुव्यवस्थित बनाने में इन्हीं अधिकारी एवं कर्मचारियों की भूमिका होती है। ये कार्मिक स्वच्छता व्यवस्था सुनिश्चित करने से लेकर, स्वास्थ्य जांच, रेस्क्यू, घोड़ा खच्चर संचालन का मैनेजमेंट सुनिश्चित करवाने से लेकर हर छोटा बड़ा काम करते हैं। आपदा जैसी स्थिति में यही कार्मिकों लोगों को सुरक्षित उनके घर पहुंचने का भी काम करते हैं।

 

यात्रा ही नहीं जीवन मैनेजमेंट सीखती है यात्रा

श्री केदारनाथ धाम में बतौर सेक्टर मजिस्ट्रेट तैनात खंड विकास अधिकारी अनुष्का अपना अनुभव साझा करते हुए बताती हैं कि बतौर यात्रा मजिस्ट्रेट यह उनकी पहली ड्यूटी है और यह उनके जीवन की सबसे चुनौतीपूर्ण लेकिन सीख से भरी हुई ड्यूटी है। हर दिन हजारों श्रद्धालुओं की यात्रा सुव्यवस्थित एवं निर्बाध रूप से चलती रहे यह सुनिश्चित करना अपने आप में बड़ी जिम्मेदारी है। न्यूनतम संसाधनों में हम लोग यहां 24 घंटे ड्यूटी करते हैं, कई बार आपातकाल स्थिति में ऐसा भी होता है कि दिन में दो से तीन घंटे की नींद भी पूरी नहीं हो पाती। लेकिन अगले दिन हमें फिर से पूरी ऊर्जा के साथ नए दिन की शुरुआत करनी होती है। जिला युवा कल्याण अधिकारी वरद जोशी ने कहा कि श्री केदारनाथ धाम यात्रा अपने आप में एक अलग अनुभव एवं ड्यूटी है। मैं दूसरे वर्ष यहां पर बतौर सेक्टर मजिस्ट्रेट कार्य कर रहा हूं, लेकिन हर दिन एक नई चुनौती हमारे सामने होती है और हर दिन हमें कुछ नया सीखने को मिलता है। बाबा केदारनाथ की यात्रा में ड्यूटी करना अपने आप में एक तपस्या है। देश विदेश से यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु छह महीने की अवधि में तीन से चार दिन के लिए यात्रा पर आते हैं, लेकिन यहां तैनात कर्मचारी हर दिन एक नई यात्रा पर होते हैं।

कोट जिलाधिकारी-
श्री केदारनाथ धाम यात्रा सबसे कठिन यात्राओं में से एक है। यहां ड्यूटी करने वाले अधिकारी- कर्मचारियों के समर्पण एवं निष्ठा के चलते ही यह यात्रा सफल होती है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु बाबा के धाम दर्शनों को पहुंचते हैं।यात्रा के सफल संचालन के लिए दिन रात काम करने वाला कुशल एवं दक्ष कर्मचारियों के कठिन परिश्रम के कारण ही बाबा के धाम पहुंचने वाले श्रद्धालु यहां से आशीर्वाद के साथ सुखद यादें भी लेकर जाते हैं। यही सभी कार्मिक इस यात्रा के असली हीरो हैं।

जिलाधिकारी सौरभ गहरवार

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