नई दिल्ली (पीबी) : विश्व मौसम विज्ञान संगठन-डब्ल्यू. एम. ओ. ने कहा कि रेत और धूलभरी आंधी से अब 150 से अधिक देशों के 33 करोड से अधिक लोग प्रभावित होते हैं। इससे स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को अधिक नुकसान हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र निकाय ने कहा कि वर्ष में लगभग दो अरब टन धूल हवा में फैलती है। संगठन का कहना है कि 80% से अधिक धूल का मूल स्रोत उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के रेगिस्तान हैं।
लेकिन ये धूल विश्वभर में हवा के जरिये फैलती है। डब्ल्यू एम ओ का कहना है कि मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका- एम. ई. एन. ए. क्षेत्र में अकेले वार्षिक धूल संबंधी समस्याओं से निपटने का खर्च 150 अरब डॉलर है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रेत और धूल के तूफानों से निपटने के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर 2025-2034 को कार्रवाई का समर्पित दशक घोषित किया।