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Vansi Narayan Temple Raksha Bandhan : हिमालय की गोद में 12000 फीट की ऊंचाई पर कीजिए वंशी नारायण के दर्शन

Web Editor
Last updated: 2025/08/09 at 5:41 AM
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Visit Vansi Narayan Temple on Raksha Bandhan at 12,000 ft in Himalayas

 Vansi Narayan Temple Raksha Bandhan : रक्षा बंधन के दिन होता है मेले का आयोजन, भगवान को बांधे जाते हैं रक्षा सूत्र

गोपेश्‍वर (चमोली), 09 अगस्‍त 2025 :  हिमालय की गोद में फैला बदरिकाश्रम क्षेत्र । इसी क्षेत्र के चमोली जिले की उर्गम घाटी में समुद्रतल से 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है वंशी नारायण मंदिर। चांदी सी चमकती हिम चोटियों के सानिध्‍य में  घने जंगल के बीच सम्‍मोहित करने वाले मंदिर में रक्षा बंधन के दिन श्रद्धालु भगवान को रक्षा सूत्र बांधते हैं। कत्‍यूरी शैली में तराशा गया आठवीं सदी का यह मंदिर सदियों से आस्था और आध्यात्मिकता की कहानियां समेटे हुए है। यह एक संरचना मात्र नहीं, बल्कि भावना, भक्ति और लोककथाओं का एक जीवंत संगम है।

कल्पेश्वर और रुद्रनाथ के बीच, पंच केदार के हृदय में बसा यह स्थान, मन को शांति और सुकून देने वाला है। यह वही भूमि है जिसे भगवान विष्णु ने अपनी लीलास्थली बनाया, पांडवों ने तपस्या के लिए चुना और भगवान शिव ने अपने ईष्ट के सम्मान में अपने स्थान की स्थापना की। बंसी नारायण की यात्रा अपने आप में एक साधना है। यह एक कोई सैर नहीं, बल्कि मन और शरीर दोनों की परीक्षा है। जोशीमठ से हेलंग और हेलंग से देवग्राम तक की यात्रा एक दिव्‍य अहसास है। देवग्राम से लगभग 10-12 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा, मखमली बुग्यालों और घने जंगलों से होते हुए इस पवित्र स्थल तक ले जाती है। यह यात्रा केवल मंदिर तक नहीं पहुँचाती, बल्कि आत्मा को भी एक नई ऊर्जा से सराबोर भी कर देती है

मंदिर की सबसे अनूठी कहानी रक्षाबंधन से जुड़ी है। लोक मान्‍यताओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का राजा बनाया और उनके द्वारपाल बन गए, तब माता लक्ष्मी अपने पति को वापस लाने के लिए चिंतित हुईं। देव ऋषि नारद ने उन्हें रक्षाबंधन के दिन राजा बलि को राखी बाँधने का उपाय सुझाया। लक्ष्मी जी ने यही किया और राखी के बदले राजा बलि से अपने पति को माँग लिया। इस प्रकार, बंसी नारायण मंदिर में रक्षाबंधन का पर्व, न केवल भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है, बल्कि यह एक पत्नी के अपने पति के प्रति अगाध प्रेम और भगवान की भक्ति का भी प्रमाण है।

साल भर वीरान रहने वाले इस मंदिर में रक्षाबंधन के दिन एक अद्भुत मेला लगता है। कलगोठ गाँव के जाख देवता के पुजारी सदियों से यहाँ पूजा करते आ रहे हैं। इस दिन, पूरा क्षेत्र भक्तों की आवाजाही से जीवंत हो उठता है। लोग भगवान नारायण को घी, मक्खन और सत्तू का भोग लगाते हैं, और यह पूरा वातावरण भक्ति और आस्था के रंग में रंग जाता है। यह मंदिर, जिसका नाम ‘बंसी नारायण’ है, हमें भगवान कृष्ण का स्मरण कराता है, लेकिन यहाँ की मुख्य प्रतिमा भगवान विष्णु की चतुर्भुज मूर्ति है। इसके साथ ही, गणेश, भैरव, कुबेर, घंटाकरण और वन देवियों की मूर्तियाँ भी यहाँ विराजमान हैं, जो इस स्थल की दिव्यता को और भी बढ़ाती हैं।

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TAGGED: 000 ft in Uttarakhand's Ugrgam Valley. The temple, a sacred site at 12, Discover the ancient Vansi Narayan Temple, is steeped in mythology and draws devotees who tie sacred threads to the deity., which opens only on Raksha Bandhan
Web Editor August 9, 2025
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साथियों, ये है हिमालय की आवाज. आप सोच रहे होंगे कि इतने पोर्टल के बीच एक और पोर्टल. इसमें क्या अलग है. यूं तो इसमें भी खबर ही होंगी, लेकिन साथ ही होगी हिमालय की आवाज यानी अपनी माटी, अपने गांव गली और चौक की बात. जल-जंगल और जमीन की बात भी. पहाड़ के विकास के लिए हम दमदार आवाज बनेंगे. आप सभी शुभचिंतकों के सहयोग का आकांक्षी. : किरण शर्मा, संस्‍थापक

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