India Adds Seven New Sites to UNESCO Tentative List
भारत के सात प्राकृतिक विरासत स्थल यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों की संभावित सूची में शामिल
नई दिल्ली, 19 सितंबर 2025 : भारत अपनी समृद्ध प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर संरक्षित और प्रदर्शित करने में लगातार महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। केरल की वर्कला चट्टानों समेत देश भर के सात प्राकृतिक विरासत स्थलों को यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों की संभावित सूची में शामिल किया गया है। इसके साथ ही इस संभावित सूची में भारत के विरासत स्थलों की संख्या 62 से बढ़कर 69 हो गई है। इन विचाराधीन स्थलों में 49 सांस्कृतिक, 17 प्राकृतिक और 3 मिश्रित विरासत स्थल शामिल हैं। यूनेस्को के प्रोटोकॉल के अनुसार, प्रतिष्ठित विश्व विरासत सूची में नामांकित होने के लिए किसी भी स्थल का संभावित सूची में शामिल होना आवश्यक है।
केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में स्थित, वर्कला चट्टानें एक भूवैज्ञानिक आश्चर्य हैं, जो अरब सागर के किनारे पर खड़ी हैं। ये चट्टानें तृतीयक युग (Tertiary Era) की अवसादी चट्टानें (Sedimentary rocks) हैं और इन्हें भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India) द्वारा भू-विरासत स्थल (geo-heritage site) घोषित किया गया है।
इन चट्टानों के ऊपर से, पर्यटक समुद्र, तट और सूर्यास्त के मनमोहक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। चट्टानों के नीचे एक सुंदर समुद्र तट है, जिसे वर्कला बीच या पापनाशम बीच के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस समुद्र तट पर स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। यह स्थान अपने शांत वातावरण, आयुर्वेद केंद्रों और योग रिट्रीट के लिए भी प्रसिद्ध है।
संभावित सूची में शामिल हुए नए स्थलों का विवरण:
महाराष्ट्र के पंचगनी और महाबलेश्वर स्थित डेक्कन ट्रैप: दुनिया के कुछ सर्वोत्तम संरक्षित और अध्ययन किए गए लावा प्रवाहों का घर, ये स्थल विशाल डेक्कन ट्रैप का हिस्सा हैं और उस कोयना वन्यजीव अभयारण्य के भीतर स्थित हैं जो पहले से ही यूनेस्को विश्व विरासत स्थल है।
कर्नाटक में सेंट मैरी द्वीप समूह की भूवैज्ञानिक विरासत: अपनी दुर्लभ स्तंभाकार बेसाल्टिक चट्टान संरचनाओं के लिए जाना जाने वाला, यह द्वीप समूह उत्तर क्रेटेशियस काल का है, जो लगभग 85 मिलियन वर्ष पूर्व का भूवैज्ञानिक चित्रण प्रस्तुत करता है।
मेघालय में मेघालय युग की गुफाएं: मेघालय की आश्चर्यजनक गुफा प्रणालियां, विशेष रूप से माव्लुह गुफा, होलोसीन युग में मेघालय युग के लिए वैश्विक संदर्भ बिंदु के रूप में कार्य करती हैं, जो महत्वपूर्ण जलवायु और भूवैज्ञानिक परिवर्तनों को दर्शाती हैं।
नागालैंड की नागा हिल ओफियोलाइट: ओफियोलाइट चट्टानों का एक दुर्लभ प्रदर्शन, ये पहाड़ियां महाद्वीपीय प्लेटों पर उभरी हुई महासागरीय परत का प्रतिनिधित्व करती हैं—जो टेक्टोनिक प्रक्रियाओं और मध्य-महासागरीय रिज की गतिशीलता की गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।
आंध्र प्रदेश में एर्रा मट्टी डिब्बालु (लाल रेत की पहाड़ियां): विशाखापत्तनम के पास ये आकर्षक लाल रेत की संरचनाएं अद्वितीय पुरा-जलवायु और तटीय भू-आकृति विज्ञान संबंधी विशेषताओं को दर्शाती हैं जो पृथ्वी के जलवायु इतिहास और गतिशील विकास को प्रकट करती हैं।
आंध्र प्रदेश में तिरुमाला पहाड़ियों की प्राकृतिक विरासत: एपार्चियन नादुरुस्ती (अनकन्फॉर्मिटी) और प्रतिष्ठित सिलाथोरनम (प्राकृतिक मेहराब) की विशेषता वाला यह स्थल अत्यधिक भूवैज्ञानिक महत्व रखता है। यह पृथ्वी के 1.5 अरब वर्षों से अधिक के इतिहास का प्रतिनिधित्व करता है।
