Uttarakhand High Court Issues Notice to Centre and State on Cruelty to Fish in Angling
नैनीताल, 22 नवंबर 2025: हाई कोर्ट ने एंगलिंग (हुक के माध्यम से मछली पकड़ने) के नाम पर मछलियों के साथ हो रही कथित क्रूरता पर गंभीर रुख अपनाते हुए केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने दोनों सरकारों से विस्तृत जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को निर्धारित की गई है।
यह याचिका प्रदेश के पूर्व प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जयराम द्वारा दायर की गई है। उन्होंने बताया कि एंगलिंग को पर्यटन बढ़ाने के साधन के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है, जबकि इससे मछलियों पर अत्यधिक दर्द और अमानवीय व्यवहार होता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह प्रथा पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 का स्पष्ट उल्लंघन है, जिसमें इस तरह की क्रूरता को दंडनीय अपराध माना गया है।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में हुई। जयराम ने अपनी याचिका में उल्लेख किया कि सेवा काल के दौरान उन्होंने राज्य के वन क्षेत्रों में एंगलिंग पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन 2020 में उनके सेवानिवृत्त होने के बाद राज्य सरकार ने यह रोक हटा दी। इसके बाद प्रदेश में एंगलिंग का चलन लगातार बढ़ा है और कई पंचायती निकाय भी इसके लाइसेंस जारी कर रहे हैं।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार, केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों का उल्लंघन कर एंगलिंग को बढ़ावा दे रही है। जयराम ने न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि देशभर में एंगलिंग पर रोक लगाने की मांग की है।
प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने दोनों सरकारों से विस्तृत जवाब मांगा है, जिसके बाद इस मामले पर आगे सुनवाई होगी।
