डोईवाला (देहरादून) : स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय जौलीग्रांट (एसआरएचयू) के लाइब्रेरी सिस्टम ने नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (नासी) उत्तराखंड चैप्टर के सहयोग से “स्कोपसः एक उद्धरण उपकरण और अनुसंधान मूल्यांकन सूचकांक पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।
बीसी रॉय सभागार में आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि एसआरएचयू के कुलपति डॉ. राजेन्द्र डोभाल ने कहा कि आज से कुछ दशकों पूर्व अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में पश्चिमी शोधकर्ताओं का ज्यादा प्रभाव था। जिसके कारण पूर्व के देशों से आ रहे गुणवत्ता परक शोधपत्रों को उनका उचित स्थान नहीं मिल पाता था। कहा कि भारत और अन्य देशों के शोधकर्ताओं के प्रयासों से आज विकासशील देशों के विद्वानों के शोधपत्र प्रतिष्ठित जर्नल्स में प्रकाशित हो रहे है। उन्होंने नए शोधकर्ताओं को शोधपत्रों की अधिक संख्या से ज्यादा शोध की गुणवत्ता पर ज्यादा ध्यान देने की बात कही। महानिदेशक शैक्षणिक विकास डॉ. विजेंद्र चौहान ने बताया की कैसे सन 1994 से आज तक स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी अपने वर्तमान स्वरुप में पहुंच पाई है। कहा कि आज 36000 से अधिक किताबों, देश विदेश के विख्यात जर्नल्स व डिजिटल पहुंच जैसे समृद्ध संसाधनों के साथ लाइब्रेरी एक मिसाल के तौर पर स्थापित हो गयी है। प्रोफेसर योगेन्द्र सिंह ने स्कोपस के विभिन्न पहलुओं जैसे खोज तकनीकों की मूल बातें के बारे में बताया। उन्होंने जर्नल लेवल मेट्रिक्स, लेखक लेवल मेट्रिक्स, साइटस्कोर, अल्टमेट्रिक्स और स्कोपस सर्चिंग के बेहतर पहलुओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
एल्सेवियर के डॉ. नितिन घोषाल ने उद्धरण उपकरण के रूप में स्कोपस के बारे में चर्चा की। इस दौरान आयोजित प्रश्नोत्तरी सत्र में प्रतिभागियों ने विशेषज्ञों से सवाल जवाब किये। इस अवसर पर आयोजित प्रतियोगिता में प्रोफेसर योगेन्द्र सिंह ने प्रथम तीन विजेताओं को प्रशस्ति पत्र और नकद पुरस्कार से सम्मानित किया। कार्यशाला में इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, योगा साइंस, फार्मेसी, बायोसाइंस के छात्र-छात्राओं सहित 70 प्रतिभागी शामिल हुए। इस अवसर पर डॉ. नूपुर श्रीवास्तव, अभिषेक पांडे, अजय बंगारी, इंद्रपाल सिंह और कैलाश उनियाल मौजूद रहे।