ऋषिकेश : थाईलैंड की फिल्म अभिनेत्री कंजना जांडी परमार्थ निकेतन आयी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया। स्वामी जी के पावन सान्निध्य में गंगा आरती, हवन, सत्संग, योग और अन्य आध्यात्मिक गतिविधियों में सहभाग किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज का युवा जीवंत, ऊर्जावान और गतिशील होने के साथ किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम है, परन्तु इसके लिये सकारात्मकता के साथ नैतिक व आध्यात्मिक मार्ग पर चलते रहना अत्यंत आवश्यक है। भारत की संस्कृति नैतिकता व अपनत्व से युक्त है। महात्मा गांधी ने कहा था कि “आपकी मान्यताएँ आपके विचार बन जाते हैं, आपके विचार आपके शब्द बन जाते हैं, आपके शब्द आपके कार्य बन जाते हैं, आपके कार्य आपकी आदत बन जाती हैं, आपकी आदतें आपके मूल्य बन जाते हैं, आपके मूल्य आपकी नियति बन जाती हैं।” नियति न केवल स्वयं का बल्कि पूरे राष्ट्र का भाग्य बदल सकती है इसलिये जरूरी है युवाओं को एक सकारात्मक दिशा और चितंन देने की।
स्वामी जी ने कहा कि तेजी से बढ़ते आधुनिकीकरण ने वैश्वीकरण के साथ मिलकर युवाओं की जीवनशैली में व्यापक बदलाव किया हैं, ऐसे में नई पीढ़ी के युवाओं को अपने मूल, मूल्य और संस्कारों से जोड़े रखना अत्यंत आवश्यक है और भारतीय संस्कृति में उन्नत जीवन के मूल्य समाहित है।
इस अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि यूथ को एक्टिव व इफेक्टिव बनाने के लिये हमें इंफॉर्मेशन, इंस्पिरेशन, इंप्लीमेंटेशन, इनोवेशन और 4 टी प्रोग्राम टाइम, टेलेंट, टेक्नोलॉजी और टेनेसिटी के साथ प्रकृति, पर्यावरण देश, समाज और सबके लिए कार्य करना होगा।
स्वामी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम्, सर्वे भवन्तु सुखिनः, आनो भद्रा, लोकाः समस्ताः सुखिनो भवन्तु के मंत्र दिये है। भारतीय संस्कृति ने विश्व एक परिवार है का सूत्र दिया, शान्ति के मंत्र दिये और अहिंसा की संस्कृति से अवगत कराया। इस संस्कृति को जीवंत व जागृत बनाये रखना हम सभी का परम कर्तव्य है।
थाईलैंड की फिल्म अभिनेत्री कंजना जांडी ने कहा कि परमार्थ निकेतन की गंगा आरती का आकर्षण मुझे भारत लेकर आया है। परमार्थ निकेतन के दिव्य सौन्दर्य में तल्लीन होकर यहां पर हमने विभिन्न आध्यात्मिक गतिविधियों में सहभाग किया। शिव की भूमि पर आकर शिवाभिषेक करने का अवसर भी प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से वे परमार्थ निकेतन की गतिविधियों से हमेशा से जुड़ी रही लेकिन यहां आकर अत्यंत शान्ति और अपनत्व का अनुभव किया।
कंजना जांडी ने परमार्थ निकेेतन गंगा तट पर वेदमंत्रों के शिवाभिषेक व गंगा जी का अभिषेक किया।