देहरादून : लंबी कसरत के बाद उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार हो गया है। जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) समिति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ड्राफ्ट सौंप दिया है। इस कानून को लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य होगा। इसके तहत सभी धर्मों में शादी व तालाक के लिए एक ही नियम होगा। साथ ही यूसीसी (समान नागरिक संहिता) लागू होने के बाद लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य हो जाएगा।
लंबे इंतजार के बाद शुक्रवार को समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) समिति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया। ड्राफ्ट में तलाक के बाद भरण पोषण और बच्चों को गोद लेने के लिए सभी धर्मों के लिए एक कानून की संस्तुति की गई है। साथ ही सभी धर्म में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य करने का प्रस्ताव किया गया है। किसी भी धर्म में अब एक पति व एक पत्नी का नियम लागू होगा। हालांकि, प्रदेश की जनजातियों को इस कानून की परिधि से बाहर रखा गया है। ड्राफ्ट को शनिवार को मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा। इसके बाद विधेयक पारित करने के लिए 05 फरवरी को विधानसभा का सत्र बुलाया गया है।
मुख्यमंत्री आवास में समिति के चार सदस्य जस्टिस प्रमोद कोहली (सेनि), पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल व सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ और समिति के सचिव रंजन मिश्रा ने मुख्यमंत्री धामी को यह ड्राफ्ट सौंपा। ड्राफ्ट चार खंडों में है। 20 माह में समिति अब इस कार्य को पूरा कर चुकी है। इस अवधि में समिति ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों व समुदायों के साथ 72 बैठकों व आनलाइन माध्यम से सुझाव लिए। समिति को 2.33 लाख सुझाव प्राप्त हुए हैं। समिति ने समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट हिंदी व अंग्रेजी में तैयार किया है
समिति की संस्तुतियों के अनुसार, बंटवारे में लड़की का समान अधिकार सभी धर्मों में लागू रहेगा। अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकेगा। लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। समिति ने लव जिहाद, विवाह समेत महिलाओं और उत्तराधिकार के अधिकारों के लिए सभी धर्मों के लिए समान अधिकार को ध्यान में रखा है।