देहरादून: असम के गुवाहाटी से 20 मार्च को गिरफ्तार किए गए आतंकी संगठन आइएस (इस्लामिक स्टेट) के इंडिया चीफ देहरादून निवासी हारिस फारुकी को केंद्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की टीम सोमवार रात देहरादून लेकर पहुंची। यहां लक्खीबाग क्षेत्र स्थित हारिस के घर पर एनआइए टीम ने उसके स्वजन से करीब दो घंटे पूछताछ की और कुछ इलेक्ट्रानिक उपकरण कब्जे में लिए। इसके बाद उसे लक्खीबाग पुलिस चौकी ले जाया गया और करीब ढाई घंटे तक वहीं जांच-पड़ताल की गई। मंगलवार तड़के करीब तीन बजे एनआए की टीम हारिस और सीज किए गए उपकरणों को लेकर दिल्ली लौट गई। स्थानीय पुलिस के अनुसार, जीडी में एनआइए ने सीज किए सामान का उल्लेख नहीं किया है।
देहरादून के शहर कोतवाली क्षेत्र स्थित लक्खीबाग निवासी हारिस फारुकी (मूल निवासी-प्रतापनगर, उत्तर प्रदेश) लंबे समय से आतंकी गतिविधियों में संलिप्त था। वह स्कूली शिक्षा के बाद अलीगढ़ चला गया और वहीं उच्च शिक्षा प्राप्त कर ट्यूशन देने लगा। जुलाई-2023 में जब महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने बाइक चोरी के मामले में एक गिरोह को पकड़ा और गिरोह के तार आतंकी संगठनों से जुड़े पाए गए तब उस समय पहली बार हारिस फारुकी का नाम सामने आया। हालांकि, हारिस उस समय गिरफ्तार आरोपितों में शामिल नहीं था।
इसके बाद जब अक्टूबर-2023 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आएएस) से जुड़े कुछ आतंकियों को पकड़ा, तब हारिस फारुकी का नाम आइएस के इंडिया चीफ के रूप में सामने आया। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की जांच में पता चला कि अलीगढ़ में ट्यूशन की आड़ में हारिस आतंकी गतिविधियां संचालित कर रहा था और आइएस से उसे फंडिंग की जा रही थी। उसने आइडी ब्लास्ट का प्रशिक्षण भी लिया हुआ था। इसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसी (एनआइए), उत्तर प्रदेश एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (यूपी एटीएस), दिल्ली स्पेशल सेल और महाराष्ट्र पुलिस उसे तलाश रही थीं। हारिस और उसके साथियों के विरुद्ध पुणे पुलिस ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) में भी मुकदमा दर्ज किया हुआ है।