देहरादून : देहरादून और हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब को जोड़ने वाला यमुना पुल वाहनों की भारी आवाजाही के दौरान असामान्य रूप से कंपनी लगता है। उत्तराखंड की सीमा पर 04 जांच चौकियां होने के कारण चेकिंग की स्थिति में खनन सामग्री से भरे भारी भरकम ट्रकों की कतार पुल के ऊपर पूरी तरह पसर जाती है। ऐसे में पुल की मौजूदा स्थिति कभी भी खतरनाक साबित हो सकती है। लिहाजा, हाल में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और हिमाचल प्रदेश के लोनिवि मंत्री विक्रमादित्य के बीच हुई वार्ता में पुल की जल्द से जल्द मरम्मत कराने पर सहमति बनाई गई। लेकिन, इसके लिए पुल को करीब 02 माह यातायात के लिए बंद करना पड़ेगा। फिलहाल यही सबसे बड़ी चिंता और चुनौती भी है।
बताया जा रहा है कि वर्ष 1970 में बने 750 मीटर लंबे यमुना पुल की मरम्मत के लिए क्लोजर कब लिया जाना है, इस पर देहरादून और सिरमौर के जिलाधिकारी मंत्रणा के बाद निर्णय लेंगे। दूसरी तरफ भविष्य में पुराने पुल से निजात पाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने भी नए पुल के निर्माण की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। क्योंकि, दून और पांवटा साहिब को जोड़ने वाला यमुना नदी का पुल महज डेढ़ लेन का है, जबकि वर्तमान समय में यहां पर ट्रैफिक का दबाव कम से कम फोर लेन का हो गया है। पुल क्षेत्र में बड़ी मात्रा में खनन भी किया जाता है। इस कारण भी पुल पर निरंतर खतरा बढ़ता जा रहा है।
एनएचएआइ के सूत्रों के मुताबिक पुल पर मरम्मत के रूप में बियरिंग संबंधी कार्य किए जाने हैं। इस काम का जिम्मा हिमाचल प्रदेश लोनिवि ने लिया है। इसके लिए कार्ययोजना भी तैयार की जा चुकी है। लेकिन, यह काम तभी आगे बढ़ेगा, जब पुल को यातायात के लिए बंद किया जाएगा। एनएचएआइ अधिकारियों के मुताबिक पुल को थर्मल स्ट्रेस झेलने (गर्मी वी सर्दी में सिकुड़ने और फैलने की प्रक्रिया के मुताबिक बनाना) लायक बनाना है। इसके लिए पुल के पिलर के ऊपर के पैड और वाहन चलने वाली सतह के बीच में मरम्मत की जानी है। इस काम में दो माह का समय एलजी सकता है। लिहाजा, इसी के मुताबिक क्लोजर और वैकल्पिक इंतजाम की जरूरत पड़ेगी।
एनएचएआइ सूत्रों के मुताबिक मरम्मत के लिए जब यमुना पुल का क्लोजर किया जाएगा, तब वैकल्पिक मार्ग का इंतजाम सबसे बड़ी चुनौती है। विकल्प के रूप में यमुनानगर से वाहनों का संचालन किया जा सकता है, लेकिन यह रूट दून और पांवटा साहिब के बीच की दूरी को 02 घंटे तक बढ़ा सकता है। लिहाजा, लोनिवि हिमाचल प्रदेश की कार्ययोजना के मुताबिक देहरादून और सिरमौर के जिलाधिकारी ही अंतिम निर्णय लेंगे। इसके अलावा पुल के क्लोजर के दौरान अन्य वैकल्पिक रुट पर भी विचार किया जा रहा है।
390 करोड़ रुपये से मई 2025 तक बनेगा नया फोरलेन पुल
एनएचएआइ अधिकारियों के मुताबिक देहरादून-पांवटा साहिब राजमार्ग के चौड़ीकरण योजना के तहत ही नया फोरलेन पुल प्रस्तावित है। यह पुल देहरादून की तरफ से जाते हुए यमुना नदी के पुराने पुल के बाएं तरफ एक से डेढ़ किलोमीटर दूरी पर बनाया जाएगा। जो मेदनीपुर से पांवटा साहिब बाईपास रोड पर मिलेगा। इसकी लंबाई 1150 मीटर होगी और लागत करीब 390 करोड़ रुपए की आएगी। नए पुल के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया भी पूरी की जा चुकी है।
01 किलोमीटर दूर शिफ्ट होंगी जांच चौकियां
वर्तमान में पांवटा साहिब पुल के पास ही उत्तराखंड की पुलिस चौकी से लेकर परिवहन चेकपोस्ट, वीएन विभाग की चौकी और जीएसटी का कार्यालय है। जांच के दौरान वाहनों की लंबी कतार पुल के ऊपर तक पहुंच जाती है। ऐसे में पुल पर अतिरिक्त लोड पड़ता है। जिसे देखते हुए इन चौकियों को देहरादून की तरफ कम से कम एक किलोमीटर दूर स्थापित किए जाने की संस्तुति भी की गई है।