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Reading: लिव इन रिलेशनशिप में पंजीकरण नहीं कराया तो हो सकती है तीन माह की जेल
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Himalaya Ki Awaj > Blog > उत्तराखंड > लिव इन रिलेशनशिप में पंजीकरण नहीं कराया तो हो सकती है तीन माह की जेल
उत्तराखंड

लिव इन रिलेशनशिप में पंजीकरण नहीं कराया तो हो सकती है तीन माह की जेल

Web Editor
Last updated: 2024/02/06 at 11:05 AM
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3 Min Read
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देहरादून:बदलते दौर में आधुनिक जीवन शैली काे हिस्‍सा बन चुके लिव इन रिलेशनशिप को लेकर कई तरह के संशय उत्‍पन्‍न होने लगेे हैं। इसी को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने न सिर्फ समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) में लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य किया है, बल्कि ऐसे पार्टनर को कानूनी कवच भी प्रदान किया है।

विधानसभा में चर्चा के लिए रखे गए समान नागरिक संहिता के बिल में लिव इन रिलेशनशिप में स्पष्ट किया गया है कि यदि लिव इन में रह रहे किसी भी एक पार्टनर की उम्र 21 वर्ष से कम है और वह इस संबंध को तोड़ना चाहते हैं तो उसकी जानकारी पार्टनर के माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी। इसकी जिम्मेदारी लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण करने वाले निबंधक को दी गई है। साथ ही संबंध विच्छेद करने के आवेदन की जानकारी दूसरे पार्टनर को भी देनी होगी।

विधेयक में तय किया गया है कि लिव इन रिलेशनशिप में राज्य के भीतर रहने वाला कोई व्यक्ति चाहे वह उत्तराखंड का निवासी हो या दूसरे राज्य का, सभी को पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। पंजीकरण के लिए सहवासी संबंध स्थापित करने के 30 दिन के भीतर संबंधित निबंधक (रजिस्ट्रार) के पास आवेदन करना होगा। यदि कोई ऐसा करने में सक्षम नहीं होता है या आवेदन नहीं करता है तो निबंधक स्वयं या किसी शिकायत पर नोटिस जारी कर सकता है। नोटिस के 30 दिन के भीतर आवेदन करना होगा।

जो लिव इन पार्टनर पंजीकरण नहीं कराएंगे, उन्हें दोषी ठहराए जाने की दशा में 03 माह तक की कारावास या 10 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। इसी तरह लिव इन पार्टनर के संबंध में गलत तथ्य प्रस्तुत करने की दशा में भी 03 माह की सजा या 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों तरह दंडित किया जा सकता है। दूसरी तरफ पंजीकरण कराने के लिए जारी किए गए नोटिस के बाद भी आवेदन न किए जाने की स्थिति में सजा को कड़ा किया गया है। इस स्थिति में 06 माह तक की सजा या 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों सजा के साथ दी जा सकती है।

लिव इन रिलेशन के पंजीकरण की दशा में यदि किसी महिला/युवती को पुरुष पार्टनर अभित्यक्त (छोड़ना) कर देता है तो उस महिला पार्टनर को भरण-पोषण की मांग करने का अधिकार होगा। इसी तरह सहवासी युगल से पैदा होने वाला बच्चा दोनों की वैध संतान माना जाएगा।

इस दशा में पंजीकरण मान्य नहीं
-जहां कम से कम एक व्यक्ति विवाहित हो या पहले से ही लिव इन रिलेशनशिप में रह रहा हो।
-जहां कम से कम एक व्यक्ति अवयस्क हो।
-बलपूर्वक, उत्पीड़न के साथ या मिथ्या जानकारी की स्थिति में।

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