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Himalaya Ki Awaj > Blog > उत्तराखंड > खतरनाक कुत्‍तों के शौकीनों रहो सावधान
उत्तराखंड

खतरनाक कुत्‍तों के शौकीनों रहो सावधान

Web Editor
Last updated: 2023/12/10 at 9:56 AM
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रुड़की: उत्तराखंड के शहरों में खतरनाक पिटबुल डाग पालने के शौकीनों की कमी नहीं है। पिटबुल की खरीद से लेकर इसके रख-रखाव पर भले ही लोग लाखों रुपये खर्च कर रहे हों, लेकिन नियम-कायदों की परवाह उन्हें नहीं है। भले उनकी लापरवाही के कारण किसी की जान दांव पर क्यों न लग जाए। नगर निकाय भी ऐसे खतरनाक कुत्तों या पालतू जानवरों के पंजीकरण को लेकर गंभीर नहीं हैं।

पंजीकरण कराने की शर्त अनिवार्य घोषित कर नगर निकाय इसका अनुपालन कराने की जिम्मेदारी नहीं उठाते। उनकी इसी खामोशी और लापरवाही का परिणाम शुक्रवार को हरिद्वार जिले के रुड़की शहर की ढंडेरा नगर पंचायत में शुक्रवार को सामने आया, जहां पिटबुल ने जानलेवा हमला कर एक महिला को बुरी तरह जख्मी कर दिया।

उत्तराखंड के सभी नगर निकायों में पालतू कुत्तों का पंजीकरण कराना अनिवार्य है, लेकिन नियम के अनुसार कोई इसका अनुपालन नहीं करता। बात रुड़की नगर निगम और ढंडेरा नगर पंचायत की करें तो यहां एक भी पालतू कुत्ते का पंजीकरण नहीं है। स्थिति तो यह है कि नगर निकायों को यह तक नहीं पता कि उनके क्षेत्र में कितने पालतू कुत्ते हैं। कुछ लोग घर की रखवाली के लिए खतरनाक कुत्ते पालते हैं, जबकि कुछ स्टेटस सिंबल के लिए इन्हें पाल रहे। पिटबुल डाग भी स्टेटस सिंबल से जुड़ा माना जाता है, यही कारण है कि इसकी संख्या बढ़ती जा रही है।

शुक्रवार को ढंडेरा क्षेत्र में हुई घटना से लोग दहशत में हैं। ढंडेरा नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी संजय रावत ने बताया कि नगर पंचायत क्षेत्र में कुत्ते, गाय आदि का पंजीकरण अनिवार्य तो है, लेकिन अभी पंजीकरण को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने दावा किया कि शीघ्र ही अभियान चलाकर पालतू कुत्तों का पंजीकरण कराया जाएगा। यही दावा रुड़की नगर निगम के नगर आयुक्त विजयनाथ शुक्ल भी कर रहे हैं।

रुड़की की सिविल लाइंस कोतवाली प्रभारी निरीक्षक आरके सकलानी ने बताया कि पिटबुल के हमले में घायल महिला केला देवी के बयान लेने के लिए सिविल लाइंस कोतवाली से उप निरीक्षक करमवीर सिंह को एम्स ऋषिकेश में भेजा गया था, लेकिन बुजुर्ग महिला बोलने की स्थिति में नहीं है। जिस पर उप निरीक्षक ने महिला के बेटे संजय कुमार के बयान दर्ज किए हैं। साथ ही महिला का उपचार कर रहे चिकित्सक के भी बयान लिए हैं। पुलिस की ओर से घटनास्थल का नक्शा नजरी भी तैयार किया गया है। अब कुत्ते के मालिक रणजोत के बयान दर्ज किए जाएंगे। उसे पूछताछ के लिए कोतवाली बुलाया गया है।

कुत्तों के ट्रेनर एवं व्यवसायी गौरव कुमार ने बताया कि पिटबुल की कीमत 15 से लेकर 45 हजार रुपये तक है। एक पिटबुल को प्रशिक्षित करने करने में आठ हजार रुपये तक का खर्च आता है। अमूमन इस कुत्ते को घर के अंदर ही रखा जाता है। बाहर ले जाते समय दो बेल्ट में बांधकर ले जाया जाता है। दूसरे कुत्तों को देखकर पिटबुल बेहद आक्रामक हो जाता है। इसलिए इसको अलग ही रखा जाता है।

खतरनाक नस्ल का पिटबुल डाग जर्मनी, फ्रांस समेत 40 से अधिक देशों में प्रतिबंधित है। पशु चिकित्सक डा. रोहित सिंह ने बताया कि डेनमार्ग, स्पेन, ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड, रोमानिया, कनाडा और इटली आदि में भी पिटबुल पालने पर प्रतिबंध है।

देहरादून नगर निगम क्षेत्र में 138 पिटबुल डाग पंजीकृत हैं। नगर निगम के वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डा. दिनेश चंद्र तिवारी ने बताया कि वर्तमान में दून शहर में 11 हजार से अधिक पालतु कुत्ते पंजीकृत हैं। हालांकि, शहर में अनुमान के अनुसार 30 हजार से अधिक पालतू कुत्ते हैं। इनका पंजीकरण कराने के लिए नगर निगम लगातार अभियान चला रहा है। पंजीकरण न कराने की सूरत में पांच हजार रुपये जुर्माने का प्रविधान है।

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