देहरादून : रविवार को पत्रकार योगेश डिमरी पर शराब माफिया के जानलेवा हमला की घटना का देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह ने कड़ा संज्ञान लिया और उन्होंने गंभीर रूप अपनाते हुए एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) देहात को भंग कर दिया।
एसएसपी का गुस्सा यहीं शांत नहीं होता दिख रहा है, बल्कि वह तीर्थनगरी में शराब तस्करी और इसे रोक पाने में असमर्थ पुलिस कार्मिकों को चिह्नित करते हुए उन्हें हटाने की तैयारी भी कर रहे हैं। यह पहली बार है, जब ऋषिकेश में शराब तस्करी और तस्करों के बुलंद हौसलों को कुचलने के लिए किसी एसएसपी ने इतना बड़ा कदम उठाया। वहीं, दूसरी तरफ जिस आबकारी विभाग का राजस्व शराब तस्करी से सीधे तौर पर प्रभावित होता है, वह कुछ खास करने की स्थिति में नहीं दिख रही। जबकि आबकारी विभाग की जिला स्तरीय टीम के साथ ही प्रवर्तन की टीम का मुख्य काम यही है। उन्हें पुलिस की तरह कानून-व्यवस्था और प्रोटोकॉल की दिशा में कई अन्य काम भी नहीं करने होते हैं।
बेशक पुलिस ने अब पत्रकार पर हमले के आरोपी सुनील उर्फ गंजे को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन क्षेत्र के नागरिक पुलिस और आबकारी विभाग से इसी तरह के त्वरित एक्शन को जारी रखने की उम्मीद कर रहे हैं। ताकि शराब माफिया के हौसले पस्त किए जा सकें। इससे पहले राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव प्रसाद सेमवाल के नेतृत्व में बड़ी संख्या में नागरिकों ने सोमवार को ऋषिकेश कोतवाली के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया था। इसी भावना के अनुरूप देहरादून के एसएसपी ने सख्त रुख भी अपनाया। साथ ही उन्होंने पूरे ऋषिकेश क्षेत्र में शराब तस्करों के विरुद्ध वृहद अभियान छेड़ने के निर्देश भी दिए हैं।
पुलिस ने 113 तस्करों पर की कार्रवाई, एसओजी का खाता खाली
एसओजी देहात को भंग करने के पीछे एक कारण शराब तस्करी में उसकी विफलता भी रही। क्योंकि, कार्रवाई से पहले जब पुलिस ने शराब तस्करी के विरुद्ध की गई कार्रवाई का लेखाजोखा जांचा तो पता चला कि इस साल पुलिस ने 113 शराब तस्करों पर कार्रवाई की गई, जबकि एसओजी देहात का खाता खाली नजर आया।
आबकारी टीम ने 305 पेटी शराब पकड़ी, आरोपी सुनील गंजे का नाम नहीं
जिस शराब तस्कर सुनील गंजे पर पत्रकार पर जानलेवा हमले का आरोप है, उस पर आबकारी विभाग की टीम इस साल हाथ भी नहीं डाल पाई है। अप्रैल 2024 से अब तक जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय देहरादून की टीम ने शराब तस्करी में देशी-विदेशी ब्रांड की करीब 350 पेटी पकड़ी हैं, मगर इनमें से किसी भी कार्रवाई में सुनील गंजे का नाम नजर नहीं आया। जो लोग शराब तस्करी के विरुद्ध आवाज उठाने पर पत्रकार पर भी हमला कर सकते हैं, उनकी करतूत आबकारी जैसे प्रमुख विभाग को क्यों नजर नहीं आती?