देहरादून : इंडियन ऑर्थोपीडिक ऐसोसियेशन द्वारा आयोजित बोन एवं ज्वाइंट वीक 2012 से नियमित रूप से प्रतिवर्ष मनाया जाता है। हर वर्ष की भाँति इस साल यह साप्ताहिक कार्यक्रम 1-6 अगस्त 2023 तक मनाया जाएगा। इस कार्यक्रम के अवसर पर संजय ऑर्थोपीडिक एवं स्पाइन सेन्टर द्वारा निःशुल्क ऑपरेशन, दूरदर्शन, आकाशवाणी, रेडियो कार्यक्रम एवं विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में जन जागरूकता व्याख्यान का आयोजन किया जा रहा है। इसी कार्यक्रम के अंर्तगत 6 अगस्त 2023 को सेंटर में निःशुल्क ऑर्थोपीडिक एवं बी.एम.डी. शिविर का आयोजन किया जाएगा। संस्था द्वारा 4 अगस्त 2023 को उत्तरांचल प्रेस क्लब, देहरादून में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।
ऑर्थोपीडिक एवं स्पाइन सर्जन डाॅ. गौरव संजय ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं एवं ऑस्टियोपोरोसिस से हड्डियों के फ्रैक्चर होने की संभावना बढ़ रही है। हड्डियों को मजबूत करने के लिए प्रोटीन के अतिरिक्त विटामिन और मिनरल्स की आवश्यकता होती है। जैसा कि देखा गया है कि रिकेट्स एवं ऑस्टियो मलेशिया में हड्डियों की संरचना में कोई कमी नहीं होती है लेकिन ऐसे मरीजों में कैल्शियम, फाॅस्फोरस के अलावा विटामिन डी की कमी होती है। हड्डियों के मजबूत बनने में मिनरल्स की अत्यंत आवश्यकता होती है जिनमें मुख्य हैं- कैल्शियम, फाॅस्फोरस, आइरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, काॅपर, सेलेनियम और जिंक। उन्होंने सलाह दी कि दूध तथा दूध से बने हुए खाद्य पदार्थ एवं अंडे मिनरल्स के बहुत अच्छे और सस्ते एवं प्राकृतिक स्रोत होते हैं।
इस साल की इंडियन ऑर्थोपीडिक एसोसिएसन द्वारा आयोजित बोन एवं ज्वाइंट वीक की थीम है मजबूत हड्डियां, मजबूत राष्ट्र। पद्म श्री से सम्मानित ऑर्थोपीडिक सर्जन डाॅ. बी. के. एस. संजय ने कहा कि मोटे अनाजों का खाने में प्रचलन बढ़ना चाहिए क्योंकि मोटे अनाज ऊर्जा के अच्छे स्रोत तो हैं ही लेकिन इनमें पाए जाने वाले पोषक तत्त्व हमारी हड्डियों के स्वास्थ के लिए बहुत लाभदायक होते हैं जिनसे न केवल शरीर में ऊर्जा की आपूर्ति होती है बल्कि इनमें पाए जाने वाले पोषक तत्त्वों से हड्डियां भी मजबूत होती हैं।
डाॅ. संजय ने बताया कि पहले लोगों का मानना था कि मोटा अनाज केवल गरीबों का खाद्यान्न है लेकिन आज मोटा अनाज न केवल गरीबों का खाद्यान्न बल्कि यह अमीरों के भोजन का भी हिस्सा बन रहा है। हड्डियों को मजबूत करने के लिए माटे अनाज एक अच्छा, सस्ता एवं सुलभ उपाय है। मोटे अनाज खाने एवं नियमित व्यायाम की आदत हमें बड़े या बूढ़े होने पर ही नहीं बल्कि बचपन से ही डालनी चाहिए।