देहरादून: उत्तराखंड में अल्पसंख्यक समुदाय विशेष रूप से मुस्लिमों का मत हरिद्वार और नैनीताल-ऊधमसिंहनगर लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की हार-जीत तय करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। इन दोनों सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है।
प्रदेश में मतदान का ग्राफ नीचे गिरा है, लेकिन अल्पसंख्यक बहुल विधानसभा क्षेत्रों में अन्य क्षेत्रों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक मतदान हुआ है। राजनीतिक दलों को मतदाताओं के इस व्यवहार ने नए सिरे से आकलन को विवश कर दिया है।
18वीं लोकसभा के लिए उत्तराखंड की पांच सीटों के लिए शुक्रवार को हुए मतदान में मतदाताओं के ठंडे रुख ने राजनीतिक दलों की बेचैनी बढ़ा दी है। प्रदेश में पिछले दो लोकसभा चुनाव की तुलना में मतदान में गिरावट आई है। मतदान में यह कमी अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में भी दिखी है, लेकिन अन्य क्षेत्रों की तुलना में वहां अधिक संख्या में मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
प्रदेश की कुल जनसंख्या में अल्पसंख्यक समुदायों की भागीदारी 16 प्रतिशत से अधिक है। इसमें मुस्लिम जनसंख्या 14 प्रतिशत है। चार जिलों हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, देहरादून और नैनीताल में मुस्लिम मतदाताओं की लोकसभा चुनाव में बड़ी भूमिका रही है।
हरिद्वार संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 14 विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में जिन आठ विधानसभा क्षेत्रों में गैर भाजपाई दल और निर्दल काबिज हैं, उनमें अल्पसंख्यक मतदाता बड़ी संख्या में हैं। हरिद्वार जिले में मुस्लिम आबादी 33 प्रतिशत से अधिक है।
हरिद्वार संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत मंगलौर, झबरेड़ा, पिरान कलियर, ज्वालापुर, खानपुर, लक्सर, भगवानपुर और हरिद्वार ग्रामीण में मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में रहे हैं। वर्ष 2019 व वर्ष 2014 में हुए दो लोकसभा चुनाव में हरिद्वार की चार विधानसभा सीटों मंगलौर, ज्वालापुर, भगवानपुर, पिरान कलियर में भाजपा को कांग्रेस की तुलना में कम मत मिले थे।
शुक्रवार को भगवानपुर, झबरेड़ा, ज्वालापुर, लक्सर, मंगलौर व पिरान कलियर विधानसभा क्षेत्रों में 60 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। वहीं हरिद्वार ग्रामीण सीट पर मतदान 73 प्रतिशत से अधिक रहा है।
अधिक मतदान के पीछे अल्पसंख्यक समुदाय की अधिक भागीदारी मानी जा रही है। इसी प्रकार नैनीताल-ऊधम सिंह नगर संसदीय क्षेत्र की विधानसभा सीटों किच्छा, रुद्रपुर, जसपुर, काशीपुर, सितारगंज में मुस्लिम समुदाय की बड़ी जनसंख्या है।इन क्षेत्रों समेत संसदीय क्षेत्र के आठ विधानसभा क्षेत्रों में मतदान 60 प्रतिशत से अधिक रहा है।
मुस्लिम मतों पर गैर भाजपाई दलों की दावेदारी
हल्द्वानी समेत अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में अन्य क्षेत्रों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक मतदान हुआ है। अल्पसंख्यक वोट बैंक पर यूं तो कांग्रेस समेत गैर भाजपाई दल अपना-अपना दावा करते रहे हैं। इस बार बसपा ने भी इस वोट बैंक को ध्यान में रखकर हरिद्वार और नैनीताल-ऊधमसिंहनगर में मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं।
यद्यपि, प्रदेश में इन्हीं दो सीटों के साथ ही अन्य संसदीय सीटों में जिन विधानसभा क्षेत्रों में अल्पसंख्यक मतदाता अधिक संख्या में हैं, वहां मतदान अधिक रहा है। इनमें देहरादून जिले में सहसपुर और विकासनगर विधानसभा क्षेत्र भी सम्मिलित हैं। अल्पसंख्यक मतदाताओं ने किस राजनीतिक दल के प्रति अपना प्यार लुटाया है, यह चार जून को चुनाव परिणाम सामने आने पर ही पता चल सकेगा