नैनीताल: देहरादून जिले के चकराता क्षेत्र में वर्ष 2014 के बहुचर्चित प्रेमी युगल हत्याकांड में हाई कोर्ट ने अहम आदेश जारी किया है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया है। इस मामले में पूर्व में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ढकरानी की कोर्ट ने मुख्य आरोपी को फांसी की सजा, जबकि अन्य तीन आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने यह आदेश 43 में से 20 गवाहों के बयान रिकॉर्ड दर्ज किए जाने के क्रम में जारी किया था।
इस पूरे प्रकरण में प्रकाश डालते हुए बता दें कि यह मामला कोलकाता (पश्चिम बंगाल) निवासी अभिजीत पाल (26 वर्ष) और लाडो सराय दिल्ली निवासी मोमिता दास की हत्या से जुड़ा है। यह युगल 22 अक्टूबर 2014 को दिवाली की छुट्टियों में चकराता घूमने आया था। इसके अगले ही दिन टाइगर फॉल की सैर के बाद दोनों लापता हो गए थे। मोमिता के परिजनों ने 23 अक्टूबर को उसे कॉल किया, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। इसके बाद दिल्ली के लाडो सराय थाने में मोमिता की गुमशुदगी दर्ज कराई गई।
पुलिस ने छानबीन की तो उसकी आखिरी लोकेशन चकराता में मिली, जबकि आईएमईआई नंबर की जानकारी निकालने पर उसमें राजू दास के नाम का सिम कार्ड ट्रेस किया गया। दिल्ली पुलिस ने विकासनगर और चकराता पुलिस की मदद से राजू दास की तलाश शुरू की। दूसरी तरफ अभिजीत के चचेरे भाई जोयंता पाल और मोमिता के भाई अमिताभ दास भी पुलिस के साथ रहे।
राजू दास को टाइगर फॉल, लाखामंडल और चकराता क्षेत्र के तलाशने के बाद वह पकड़ में आ गया। वह उसी जीप के साथ मिला, जिसमें प्रेमी युगल की हत्या की गई थी। तब पुलिस की कड़ी पूछताछ के मुताबिक राजू दास ने स्वीकार कर लिया था कि उसने गुड्डू, बबलू और कुंदन दास के साथ मिलकर प्रेमी जोड़े की हत्या की है। आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने मोमिता का मोबाइल, पर्स और कपड़े बरामद कर लिए थे।
शवों की तलाश करते हुए नौगांव से 02 किमी दूर यमुना नदी किनारे अभिजीत का शव मिल गया, जबकि 21 दिन बाद मोमिता दास का सड़ा-गला शव डामटा के पास यमुना किनारे मिला। जांच के बाद पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। पुलिस जांच के मुताबिक राजू दास और उसके साथियों ने प्रेमी युगल को न सिर्फ जबरन जीप में बैठाने की कोशिश की थी, बल्कि मोमिता के साथ छेड़छाड़ भी की थी।
विरोध करने पर आरोपियों ने अभिजीत को रस्सियों से बांधकर जीप में बैठाया और गला घोंटकर जान ले ली।आरोपियों ने मोमिता का भी गला चुन्नी से घोंटा और हत्या करने के बाद सामान लूट लिया। दोनों के शव आरोपियों ने अलग-अलग जगह यमुना किनारे फेंके थे। इसी क्रम में पुलिस की जांच और कोर्ट में लंबी जिरह के बाद 27 मार्च 2018 को मुख्य आरोपी राजू दास को मौत होने तक फांसी पर लटकाने, जबकि अन्य आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, कोर्ट ने आरोपियों को दुराचार के आरोप से बरी कर दिया गया था।
निचली अदालत के आदेश को आरोपियों ने नैनीताल हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस रविंद्र मैठाणी और जस्टिस आलोक वर्मा की खंडपीठ ने पिछले माह सुनवाई पूरी करने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने पाया कि आरोपियों के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। लिहाजा, सभी आरोपियों को दोषमुक्त करार दे दिया गया।