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Himalaya Ki Awaj > Blog > उत्तराखंड > मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए सुनियोजित नीति बनाए वन विभाग
उत्तराखंड

मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए सुनियोजित नीति बनाए वन विभाग

Web Editor
Last updated: 2024/07/19 at 11:32 AM
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4 Min Read
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देहरादून : मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए वन विभाग द्वारा और प्रभावी प्रयास किये जाएं। इसके निवारण के लिए सुनियोजित नीति बनाते हुए इस पर गंभीरता से कार्य किया जाए। मानव-वन्यजीव संघर्ष में मृतकों के परिजनों और घायलों को यथाशीघ्र अनुमन्य सहायता उपलब्ध करवाई जाए। जंगलों से लगते जो स्थान बायोफैंसिंग से वंचित रह गए हैं, उन स्थानों को अतिशीघ्र बायोफैंसिंग से आच्छादित किया जाए। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने ये निर्देश शुक्रवार को सचिवालय में उत्तराखंड राज्य वन्य जीव बोर्ड की 20 वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मानव वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम हेतु चिन्हित हॉट स्पॉट क्षेत्रों में वन कर्मियों की गश्त बढाई जाए एवं वन कर्मियों को पर्याप्त मात्रा में उपकरण कैमरा ट्रैप, एनाईडर, ट्रैक्युलाईज गन आदि दी जाए। साथ ही आधुनिक उपकरण जैसे ड्रोन के माध्यम से भी जंगली जानवरों पर नज़र रखी जाए। जिन प्रभागों में मानव वन्यजीव संघर्ष के ज्यादा मामले आ रहे हैं उन स्थानों पर विशेष नजर रखी जाए।

मुख्यमंत्री ने हल्द्वानी में प्रस्तावित जू एंड सफारी के मास्टर प्लान पर जल्द डीपीआर बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने राजाजी टाइगर रिजर्व के अन्तर्गत चौरासी कुटिया का अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार विकास एवं उच्चीकरण अति शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने राज्य में वन्य जीव आधारित पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न नेशनल पार्कों के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए वाइल्डलाइफ आधारित डॉक्यूमेंट्री, फिल्म बनाने के भी निर्देश दिए। साथ ही विभिन्न स्थानों पर बर्ड वाचिंग कैंप का आयोजन भी किये जाने को कहा। उन्होंने कहा कि वन क्षेत्रों में प्रस्तावित विकास योजनाओं को नियमों के दायरे में रहकर जल्द पूरा किया जाए, ताकि आमजन को सहूलियत मिल सके।

बैठक में जानकारी दी गई कि जमरानी बाँध बहुउद्देशीय परियोजना के लिए नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाईफ से स्वीकृति मिल चुकी है। जनपद-पौड़ी गढ़वाल के विकासखण्ड यमकेश्वर में किमसार-भोगपुर मोटर रोड के लिए नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाईफ से स्वीकृति प्राप्त हो गई है। जिसका निर्माण जल्द किया जाएगा। 9 सालों से लंबित राजाजी टाइगर रिजर्व हेतु टाइगर कंजरवेशन फॉउण्डेशन का गठन कर लिया गया है। राज्य में वन्यजीव प्रबन्धन के समस्त बिन्दुओं को सम्मिलित करते हुये फॉरेस्ट लैण्डस्केप रीस्टोरेशन के 10 वर्षीय प्रस्ताव को तैयार किया जा रहा है। जिसके लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में 32 करोड़ की धनराशि भारत सरकार से स्वीकृत हो गई है। प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम हेतु वित्तीय वर्ष 2023-24 में आधुनिक उपकरणों के क्रय हेतु वन प्रभागों को 10 करोड़ 50 लाख रूपये की धनराशि आवंटित की गई है।

बैठक में बताया गया कि वर्ष 2009 के पश्चात राज्य में वन विश्राम भवनों की दरों को पुनरीक्षित किया गया है। केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, भारत सरकार द्वारा हल्द्वानी जू एण्ड सफारी, हल्द्वानी के मास्टर प्लान को स्वीकृति प्रदान की गयी। प्रदेश में बंदर बंध्याकरण का कार्य मिशन मोड में किया जा रहा है, जिसमें जुलाई 2023 से 31 मार्च 2024 तक 39,398 बंदरों का बंध्याकरण किया चुका है। मानव वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए 05 वन प्रभागों (गढ़वाल, टिहरी, पिथौरागढ़, बागेश्वर एवं नरेन्द्रनगर) के अन्तर्गत “लिविंग विद लैपर्ड“ कार्यक्रम चलाया जा रहा है। मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं की त्वरित रोकथाम के लिये 31 वन प्रभागों के अन्तर्गत 65 त्वरित प्रतिक्रिया दल का गठन किया गया है।

बैठक में वन मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक बंशीधर भगत, दीवान सिंह बिष्ट,  सुरेश सिंह चौहान, मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव श्री आर.के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन, प्रमुख वन संरक्षक, वन्यजीव डॉ. समीर सिन्हा, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, एडीजी ए.पी अंशुमन एवं बोर्ड के सदस्य उपस्थित थे।

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