देहरादून : कार्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में पेड़ों के अवैध कटान और निर्माण के मामले में ईडी के समक्ष पेश हुए पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत रात करीब 10.30 पर बाहर आ सके। हरक सिंह रावत सुबह साढ़े 10 बजे ईडी दफ्तर पहुंचे थे। उनके इंतजार से पहले से तैयार बैठी ईडी की देहरादून शाखा ने उनके सामने सवालों की झड़ी लगा दी। ईडी ने हरक सिंह रावत से पाखरो के मामले में 50 सवाल किए। जिसमें वन मंत्री रहते हुए उनकी भूमिका को लेकर भी सवाल किए गए। करीब 12 घंटे चली पूछताछ के दौरान हरक सिंह के समर्थक और कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता दिनभर ईडी दफ्तर के बाहर ही डटे रहे। जैसे-जैसे समय बढ़ रहा था, बाहर उनकी बेचैनी भी बढ़ रही थी।
भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार में वन मंत्री रहे हरक सिंह रावत (अब दोबारा कांग्रेस में शामिल) पर अफसरों के साथ मिलकर कार्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में मानकों को ताक पर रखकर हजारों पेड़ों के कटान, निर्माण और करोड़ों रुपये के सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप है। इसी मामले में ईडी लंबे समय समय पूछताछ के लिए हरक सिंह की राह देख रही थी। ईडी के ताजा नोटिस के क्रम में उन्हें सोमवार को पेश होने को कहा गया था। इस बार हरक सिंह रावत बिना लाग लपेट ईडी के समक्ष पेश हो गए।
सोमवार को ईडी के समक्ष पेश हुए पूर्व वन मंत्री हरक सिंह ने एक के बाद एक कई सवालों का सामना किया। ईडी ने मुख्य रूप से उनसे पाखरो रेंज में गंभीर अनियमितता को लेकर वन मंत्री के रूप में भूमिका पर सवाल किए। इस दौरान उनसे कुल 50 सवाल किए गए। कई सवालों के जवाब हरक सिंह रावत ने दिए, जबकि कुछ सवालों पर वह अटक गए। उन्होंने कुछ सवालों के जवाब के लिए समय भी मांगा है। बताया जा रहा है कि पाखरो प्रकरण में वन मंत्री के रूप में हरक की भूमिका को लेकर काफी कुछ तस्वीर साफ हो गई है। बाकी जिन सवालों का जवाब अभी हरक सिंह नहीं दे पाए, उनके जवाब के लिए ईडी फिर से तलब कर सकती है।
निकट भविष्य के केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। अब फिर से कांग्रेस में शामिल हो चुके हरक सिंह रावत इस सीट से संभावित उम्मीदवार माने जा रहे हैं। ऐसे समय में सीबीआई और अब ईडी की सक्रियता से हरक सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हालांकि, हरक सिंह रावत बार-बार यही कह रहे हैं कि कार्बेट में उनके स्तर से कोई घपला नहीं किया गया है। उन्होंने हाल में सीबीआई के समक्ष पेश होकर न कुछ दस्तावेज अधिकारियों को सौंपे, बल्कि यह भी कहा कि वन मंत्री होने के नाते उन्होंने फाइलों पर हस्ताक्षर किए। यदि कहीं कोई गड़बड़ की गई है तो उसके लिए अफसर दोषी हैं। क्योंकि, नयमों का परीक्षण करना मंत्री का काम नहीं होता है।
कार्बेट सफारी प्रकरण में सीबीआई ने अक्टूबर 2023 में मुकदमा दर्ज किया, जबकि दिसंबर 2023 में ईडी की एंट्री हुई। ईडी फरवरी 2024 में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत समेत उनके करीबियों और कई वन अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी भी कर चुकी है। पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के लिए पेड़ों के अवैध कटान का मामला तब सामने आया था, जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने इस संबंध में मिली शिकायत की स्थलीय जांच की। साथ ही शिकायत को सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की गई। इस प्रकरण की अब तक कई एजेंसियां जांच कर चुकी हैं। यह बात सामने आई है कि सफारी के लिए स्वीकृति से अधिक पेड़ों के कटान के साथ ही बड़े पैमाने पर बिना वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति के निर्माण कराए गए। सुप्रीम कोर्ट की उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने इस प्रकरण में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह की भूमिका पर भी प्रश्न उठाते हुए उन्हें भी जिम्मेदार ठहराया था। भारतीय वन सर्वेक्षण की सेटेलाइट जांच में यहां छह हजार से ज्यादा पेड़ों के कटान की बात सामने आई थी। मामले में दो आएफएस पर भी कार्रवाई की जा चुकी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर वर्ष-2022 में विजिलेंस के हल्द्वानी सेक्टर में इस मामले मे मुकदमा दर्ज किया गया। जांच के बाद विजिलेंस ने एक आरोपी बृजबिहारी शर्मा को गिरफ्तार किया और इसके बाद 24 दिसंबर 2022 को पूर्व डीएफओ किशनचंद को भी गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में विजिलेंस न्यायालय में आरोपपत्र भी दाखिल कर दिया था। विजिलेंस ने उसी वर्ष 30 अगस्त को पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के परिवार से संबंधित देहरादून में एक शिक्षण संस्थान और एक पेट्रोल पंप पर भी छापा मारा था। इस बीच उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआइ ने विजिलेंस से जांच संबंधी दस्तावेज हासिल किए और मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु की।