देहरादून : उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में 4100 से 4400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सहस्रताल ट्रेक में बर्फीले तूफान का शिकार हुए ट्रेकिंग दल को बचाने के लिए एसडीआरएफ उत्तराखंड को दुर्गम परिस्थितियों से टकराना पड़ा। एसडीआरएफ की हाई एल्टीट्यूड रेस्क्यू टीम ने 13 ट्रेकरों की जान तो बचा ली, लेकिन 09 ट्रेकर रेस्क्यू टीम के पहुंचने से पहले ही दम तोड़ चुके थे। ट्रेक पर हालत इतने विकट थे कि 05 ट्रेकरों के शव निकाले जाने के बाद शेष 04 शवों के लिए दूसरी और तीसरी बार रेस्क्यू ऑपरेशन करना पड़ा। अब सभी ट्रेकरों के शव निकाल लिए गए हैं, मगर इस दौरान जो वीडियो सामने आए हैं, वह दिल दहला देने वाले हैं।
ट्रेकरों के शवों को लाने के लिए जब एसडीआरएफ की टीम ने वायु सेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर की मदद से अभियान चलाया तो विकट हालात ने पल-पल परीक्षा ली। उच्च हिमालयी क्षेत्र के ट्रेक पर अत्यधिक बर्फबारी के चलते शव काफी हद तक बर्फ में गए थे। जिसे देख कर अंदाजा लगाया जा सकता था कि बर्फीले तूफान ने न सिर्फ राह भटकाने का काम किया, बल्कि अत्यधिक ठंड ने भी ट्रेकर्स के लिए बेहद जटिल हालात पैदा कर दिए। रेस्क्यू में बचाए गए एक ट्रेकर ने एसडीआरएफ को यही भी बताया कि बर्फीले तूफान की रफ्तार करीब 90 किलोमीटर प्रति घंटा रही होगी। जिन ट्रेकरों की मौत हुई है, उनमें एक की उम्र 71 वर्ष, जबकि दूसरे की 61 वर्ष थी।
ऐसे में सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या इतने दुर्गम ट्रेक पर जाने से पहले ट्रेकिंग दल के सभी सदस्यों का भलीभांति स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। हालांकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के निर्देश दे चुके हैं और जांच मंडलायुक्त गढ़वाल विनय शंकर पांडे को सौंपी गई है। दूसरी तरफ उत्तरकाशी जिले के पुलिस अधीक्षक ने ट्रेकिंग एजेंसी हिमालयन व्यू पर मुकदमा दर्ज करने की बात कही है। यह दल उत्तराखंड के जनपद टिहरी व उत्तरकाशी के मध्य स्थित सहस्रताल ट्रेक पर 29 मई 2024 को निकला था। शुरुआत में दल के 04 सदस्यों की मृत्यू होने और अन्य सदस्यों के क रुट में फंसने की सूचना 04.06.2024 को मिली थी।