देहरादून : देश में समान नागरिक सहिंता को लेकर चल रहे बहस मुबाहिसे के बीच उत्तराखंड इसे लागू करने की दिशा में एक कदम और आगे बढ गया है। जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति इसका प्रारूप तैैयार कर चुकी है। यदि उत्तराखंड में यह लागू होता है तो गाेेवा के बाद यह देश का दूसरा राज्य होगा। दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसे लेकर संकेत दे चुके हैं।
पिछले दिनों मध्य प्रदेश में एक जनसभा को संबोधित करते हुए माेेदी ने कहा भी कि यह संवधिान की भावना के अनुरुप है और सुप्रीीम कोर्ट इसके लिए निर्देश दे चुकी है। जाहिर है प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इस कदम पर पूरे देश की निगाहें लगी हैं। गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी इसके लिए धामी की सराहना कर चुके हैं। माना जा रहा है कि उत्तराखंड में लागू होने वाली समान नागरिक संहिता में विभिन्न पहलू शामिल कर इसे मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। इससे केंद्र के साथ ही दूसरे राज्यों के लिए भी राह आसान होगी।
पिछली बार राज्य में चुनाव के वक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता से वादा किया था कि भाजपा की सरकार बनने पर यहां समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। सत्ता में आने के बाद उन्होंने इस दिशा में पहल की और समान नागरिक संहिता का प्रारूप तैयार करने के लिए जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। अब कमेटी अपना काम पूरा कर चुकी है। जल्द ही इसे मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा। ऐसे मेंं कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री इसी माह विधानसभा का विशेष सत्र बुला सकते हैं ताकि जल्द से जल्द समान नागरिक सहिंता को अमलीजामा पहनाया जा सके।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री टवीट कर घोषणा कर चुके हैं कि कमेटी अपना काम पूरा कर चुकी है और किसी भी दिन समान नागरिक सहिंता का प्रारूप सरकार को सौपा जा सकता है। माना जा रहा है कि समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद प्रदेश सरकार इसमें आवश्यकतानुसार कुछ संशोधन के साथ विधानसभा से विधेयक पारित कराने के बाद सरकार समान नागरिक संहिता लागू कर देगी।
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समान नागरिक सहिंता के लागू होने पर यह होंगे बदलाव
बहुविवाह : कई धर्म और समुदाय के पर्सनल लॉ बहुविवाह को मान्यता देते हैं। मुस्लिम समुदाय में तीन विवाह की अनुमति है। यूसीसी के बाद बहु-विवाह पर पूरी तरह से रोक लग सकती है।
लिव इन रिलेशनशिपः इसके लिए घोषणा करने के बाद अभिभावकों को भी बताना होगा। इसके साथ सरकार को ब्योरा देना जरूरी हो सकता है।
भरण-पोषण: पति की मौत के बाद मुआवजा राशि मिलने के बाद पत्नी दूसरा विवाह कर लेती है और मृतक के माता-पिता बेसहारा रह जाते हैं। यूसीसी का सुझाव है कि मुआवजा विधवा पत्नी को दिया जाता है, तो बूढ़े सास-ससुर के भरण पोषण की जिम्मेदारी भी उस पर होगी। वह दूसरा विवाह करती है तो मुआवजा मृतक के माता-पिता को दिया जाएगा।
गोद लेने का अधिकार: यूसीसी के कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा।
बच्चों की देखरेख : यूसीसी में सुझाव है कि अनाथ बच्चों की गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान व मजबूत बनाया जाए।
उत्तराधिकार कानून: कई धर्मों में लड़कियों को संपत्ति में बराबर का अधिकार हासिल नहीं है। यूसीसी में सभी को समान अधिकार का सुझाव है।
जनसंख्या नियंत्रण: यूसीसी में जनसंख्या नियंत्रण का भी सुझाव है इसमें बच्चों की संख्या सीमितकरने, नियम तोड़ऩे पर सरकारी सुविधाओं के लाभ से वंचित करने का सुझाव है।